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लिब्राहन कमिशन रिपोर्ट में कई खामियां: भागवत
- चंडीगढ़
- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत ने शनिवार को चंडीगढ़ प्रेस क्लब, सेक्टर 27 में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह बात कही। उन्होंने विवादित ढांचा गिराए जाने के मामले में माफी मांगने से इंकार करते हुए कहा कि उस वक्त ऐसा कुछ भी नहीं हुआ जिसके लिए माफी मांगी जाए।
- उनका कहना है कि राम जन्म भूमि आंदोलन का मुद्दा ह्दय परिवर्तन, कोर्ट के निर्देश, सरकार के सहयोग के साथ समाज में जागृति लाए जाने से ही हल हो सकता है। इस आंदोलन में मुस्लिम समुदाय के लोग भी जुड़े रहे है जिनमें मुख्तार अब्बास नकवी, मुम्बई के मुज्जफर हुसैन आदि शामिल हैं।
- आरएसएस के कार्यकर्ता मतदान के समय अपने विवेक से किसी भी राजनीतिक पार्टी या उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करने के लिए स्वतंत्र है। इसमें केवल देश हित और राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान मंे रखकर वोट डालने की सलाह दी जाती है।
- उन्होंने कहा कि आरएसएस अखण्ड भारत की कल्पना करता है जिसमे पाकिस्तान, अफगानिस्तान, नेपाल देश का हिस्सा हो। उनके मुताबिक पहले भी हम पूजा पद्धतियां विभिन्न होने के बावजूद एक होकर रहे है और भविष्य में भी रह सकते हैं।
- उनके मुताबिक आरएसएस के हिंदूत्व का अर्थ है कि देश के लोगों में विभिन्नताएं होने के बावजूद उन्हें एकजुट कर निजी स्वार्थ और भेद भुलाकर देश की एकता व अखण्डता के लिए काम करना। अगर कुछ लोग इसे भारतीय, इंडियन कहे तो संघ को इस पर किसी तरह का ऐतराज नहीं है।
- उनका कहना है कि संघ के दरवाजे हर समुदाय, जाति व पंथ के लिए खुले हैं। आरएसएस की परंपरा के मुताबिक ध्वज प्रणाम, संस्कृत में प्रार्थना और भारत माता की जय बोलने वाला व्यक्ति आरएसएस का कार्यकर्ता बन सकता है, चाहे वह हिंदू हो, सिख हो या फिर मुस्लिम और इसाई। उन्होंने दावा किया कि आरएसएस की शाखाओं में मुस्लिम व इसाई लोग भी आते हैं।
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