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महाजाल पर सुरेश चिपलूनकर (Suresh Chiplunkar):
- जी हाँ… अब सही समझे आप, आज 10 दिसम्बर को "विश्व मानवाधिकार दिवस" है, अब ज़रा सोचिये यदि हमारे महान मानवाधिकार संगठन न होते तो अफ़ज़ल गुरु को खुदा की गोद में (या शायद 72 हूरों की गोद में) बैठे कितने बरस बीत चुके होते, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा…।
तात्पर्य यह कि, भाईयों जिस व्यक्ति की मौत लगभग तय हो चुकी हो, उसे पुनर्जन्म देने का काम किया है कांग्रेस और मानवाधिकार संगठनों ने, और आज मानवाधिकार दिवस है इसलिये हमें इसे अफ़ज़ल गुरु के "पुनर्जन्म दिवस" अर्थात बर्थ-डे के रूप में मनाना चाहिये।
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