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त्यागी: हिन्दू राष्ट्र से दिक्कत किसे है (भाग -२)!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
- "कांग्रेस खा गई शक्कर पी गई तेल दिखा रही है अपना खेल".
- आज हिन्दूस्थान में संसार का सबसे बड़ा आयोजन हो रहा है कुम्भ के मेले का हरिद्वार में. अभी मेरा ब्राज़ील जाना हुआ वहा आदमी को अंग्रेजी भी अच्छे से नहीं आती परन्तु वह व्यक्ति मुझ से कुम्भ के मेले के बारे में पूछता है. मेने सोचा यार सोनिया गाँधी और मनमोहन सिंह से यदि ये प्रशन पूछ लिया तो जवाब एक ही होगा हम तो अजमेर शरीफ और ताजमहल के ही बारे में जानते है कुम्भ का मेला तो सोनिया को १२ साल पहले इलहाबाद में याद आया था जब प्रयाग में डुबकी लगा कर हिन्दू का मन मोहने और देश की बहु साबित करना था वो नाटक तो राहुल बाबा की भी करेंगे.
- आज हिन्दूस्थान में संसार का सबसे बड़ा आयोजन हो रहा है कुम्भ के मेले का हरिद्वार में. अभी मेरा ब्राज़ील जाना हुआ वहा आदमी को अंग्रेजी भी अच्छे से नहीं आती परन्तु वह व्यक्ति मुझ से कुम्भ के मेले के बारे में पूछता है. मेने सोचा यार सोनिया गाँधी और मनमोहन सिंह से यदि ये प्रशन पूछ लिया तो जवाब एक ही होगा हम तो अजमेर शरीफ और ताजमहल के ही बारे में जानते है कुम्भ का मेला तो सोनिया को १२ साल पहले इलहाबाद में याद आया था जब प्रयाग में डुबकी लगा कर हिन्दू का मन मोहने और देश की बहु साबित करना था वो नाटक तो राहुल बाबा की भी करेंगे.अब तो देश के सेर्वोसरा है क्या चिंता और फिर बावले हिन्दू तो वोट देंगे ही. अच्छा देश का मीडिया जो दिल्ली में रहेता है २०० किलोमीटर दूर हरिद्वार से इसे लाइटली ले रहा ही जैसे की कोई बगल में ही कुछ एक लोग आरहे है. नहीं मालूम की १० करोड़ लोग हरिद्वार में आने वाले है तेरे ही देश की १०% जनसँख्या यह आयेगी. परन्तु मीडिया को अपने झुनझुने बजाने से फुर्सत ही नहीं फिर सोनिया ने पैसा ही इतना दे रखा है की घर के कुत्ते खा खा उलटी कर रहे है फिर पदम् भूषण और न जाने क्या क्या अवार्ड अलग से दिया जा रहे है सो कोन इस कुम्भ को कवर करे.
- अभी भी दिल्ली से हरिद्वर की सड़क ४ लेन नहीं हुई जैसी दिल्ली - आगरा, दिल्ली - जयपुर, दिल्ली - अजमेर, दिल्ली - फेतेपुर सिकरी. अब आप देख लो की हिन्दू को देश में हिन्दुओ के आयोजन में संसार के सबसे बड़े धार्मिक उत्सव जो बहेरी और गूंगी दिल्ली की नाक के निचे हो रहा है की कितनी चिंता है .
- कोई सोचता है बीजेपी को वोट देकर हिन्दू राष्ट्र भारत बन जायगा यह भी एक भ्रम ही है. क्योंकि यह भी एक साधन ही है साध्य नहीं.
- अब इसको कुछ एस प्रकार से ले की कक्षा के सभी छात्रों से अपने लिया एक शिक्षक चुनने के लिया कहा गया है तो क्या आप समझते है वो एक उच्कोटी शिक्षक चुनेगे. नहीं उनको नहीं पता वो तो एक हसौड़ या मसखरा चुनना पसंद करेंगे जिसकी कक्षा में वो मस्ती करसकते हो. अरे नहीं समझ आता तो एक बार आप अपने जवानी के दिन याद कर लो. क्या आप रोजमर्रा की मजदूरी में लगा रिक्शा वाला (माफ़ करे में उसके कर्म का अपमान नहीं कर रहा) से उम्मीद करेंगे की मनमोहन सिंह की शिक्षा और सोनिया की देशभक्ति को परखे और एक आद प्रतिशत जो मौका है वो भी बिकाऊ मीडिया बर्बाद कर दिया.
- देश को समझदार नेता नहीं हिन्दू नागरिक चाहिय. देश के हिन्दुओ को अपने को हिन्दू कहेने के लिए एक रीड की हड्डी चाहिय और यह रीड की हड्डी ही नहीं मिल पा रही. कभी कभी मेलो और धार्मिक आयोजनों या कुछ फिल्मो के जरिया इसका संकेत जरुर मिलता है की हिन्दुओ में अपनी पहचान की ललक तो है परन्तु आत्मविश्वाश नहीं इसलिय पहले राष्ट्र के आम आदमी आम हिन्दू को समझ होनी चाहिय तब देश में हिन्दू अपने को कहेने का स्वाभिमान आयेगा और यदि और क्रूर शब्दों में बोलू तो हिन्दू होने के लिए कुछ मिलना चाहिय.
- सावरकर के पुत्रो अपनी बात को पहुचाने के लिया पहेले अपने बच्चो को समझाओ नहीं तो प्रमोद महाजन सारी जिंदगी बीजेपी में रहेने के बाद भी राहुल महाजन देकर गया है और गाँधी परिवार की मेनका ने वरुण जैसा तेजस्सवी पुत्र दिया है. इसलिय बड़ी बात अपनों को समझाने की है वहां बहार निकल कर दुनिया को समझाने की नहीं है.
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