Friday, January 15, 2010

..इसलिए खाए जाते हैं तिल-गुड़ और खिचड़ी

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    • तिल-गुड़ के उपयोग और दान के पीछे धार्मिक, व्यावहारिक और वैज्ञानिक महत्व है। सबसे पहले इसके व्यावहारिक महत्व पर विचार करें तो यह पाते हैं कि चूंकि माघ मास हेमंत और शिशिर ऋतुओं का होता है। इन ऋतुओं में सर्दी की अधिकता होती है। इस माह में तिल की फसल आती है। तिल में शरीर को गर्माहट, ऊर्जा देने वाली और चिकनाहट का गुण होता है। इन गुणों के कारण ही इसका सेवन किया जाता है, जो शीत ऋतु के मौसम के अनुकूल होता है। तिल तीन प्रकार के उपयोग किए जाते हैं - सफेद, लाल और काला। इनमें काला तिल ज्यादा लाभ देता है। इस दिन बनने वाले अलग-अलग तरह की तिल की मिठाइयों के साथ गुड़ का उपयोग किया जाता है। जो शरीर के लिए तिल के गुणों को असरदार बना देता है। क्योंकि गुड़ खून को बढ़ाने वाला और ऊर्जा देने के गुण होते हैं। इसलिए तिल-गुड़ से बनी मिठाईयां खाने से शरीर पुष्ट, सुंदर व स्वस्थ रहता है।



      आधुनिक विज्ञान के शोधों में भी तिल को दिल के स्वास्थ के लिए औषधी समान बताया है। निष्कर्ष यह बताते है कि तिल का सेवन हृदय में रक्त की नलिकाओं में होने वाले अवरोध खत्म कर रक्त के बहाव को सुगम बनाता है। यह वसायुक्त होती है, जिससे शरीर सुगठित होता है और त्वचा को चमकदार होती है। इसी प्रकार यह पाया गया कि गुड़ में लोह तत्व होने से वह खून की कमी को दूर करता है और उसकी मिठास शरीर को ऊर्जा देती है ।


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