Wednesday, January 6, 2010

visfot.com । विस्फोट.कॉम - कल्याण सिंह की बाप-बेटा पार्टी

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    • अतुल अग्रवाल
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    • वो कहते हैं कि जब वक्त खराब होता है तो अपना साया भी साथ छोड़ देता है। कल्याण ने जिस-जिस का पल्ला पकड़ा, उसका पहुंचा ही नाप लिया। लुटिया डुबो दी। इसीलिए सबने उनसे कर लिया किनारा। बेटे राजबीर सिंह का करियर बीजेपी में अच्छा खासा चल रहा था लेकिन उसमें भी पलीता लगा दिया कल्याण ने। राजबीर की मर्ज़ी के खिलाफ बीजेपी छुड़वा दी, सपा में शामिल करवा दिया। राजबीर वहां जमने का जुगाड़ कर ही कर रहे थे कि जनक्रांति पार्टी बना डाली। बेचारे राजबीर करें भी तो क्या करें। पिता तो पिता होता है। राम की तरह राजबीर भी तैयार हो गये बनवास पर जाने के लिए। पिता के आगे बेबस जो ठहरे।

      कल्याण सिंह ने अपने 77वें जन्मदिन के दिन पार्टी की स्थापना के साथ-साथ ये भी ऐलान कर डाला कि वो अभियान का आगाज़ अयोध्या से ही करेंगे और बेटे राजबीर एवं बहू प्रेमलता के साथ अयोध्या कूच करेगें। यानी एक बार फिर से राम भरोसे हैं कल्याण। लेकिन खेल देखिए... राम के सहारे रह कर कल्याण ने बीजेपी में वापसी के रास्ते बंद नहीं किए हैं। अपनी पार्टी में कोई पद नहीं लिया है उन्होने। मतलब ये कि बीजेपी की आइडियोलॉजी पर पार्टी को आगे बढ़ाया जाएगा और जैसे ही मौका मिलेगा लपक कर बीजेपी का दामन थाम लिया जाएगा। राजनाथ के राज में तो कल्याण को चारा तक नहीं डाला गया लेकिन कट्टर संघी नितिन गडकरी इसके लिए ज्यादा मुफीद साबित हो सकते हैं। सो उन पर डोरे डालने का काम भी लगातार कर रहे हैं कल्याण। झंडा भी बीजेपी के रंग वाला बनाया है। सिर्फ कमल का फूल नहीं है उसमें।
    • जानकारों की अगर मानें तो दो बार ‘असफल समाजवादी’ बन चुके कल्याण सिंह का दोबारा ‘हिंदू नेता’ बनना काफी मुश्किल होगा। उनका कहना है कि कल्याण सिंह अपना भला भले ही ना कर पाएं लेकिन वो लोध और पिछड़े वर्गों के वोट काटकर मुलायम को नुकसान और मायावती को फायदा ज़रूर पहुंचा सकते हैं।
    • (लेखक अतुल अग्रवाल टीवी न्यूज़ चैनल वॉयस ऑफ इंडिया के एंकर और आउटपुट हैड हैं। संपर्क:29atul@in.com)

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