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नवरात्र का पर्व प्रकृति का सहचर है-पर्व-त्योहार-धर्म-दर्शन-विचार मंच-Navbharat Times
- रमेश चंद्र
- देवी की आराधना मुख्य रूप से शारदीय और वासंतिक नवरात्र में की जाती है। इस समय को रक्त विकार से पैदा होने वाले रोगों का काल कहा जाता है। मार्कंडेय पुराण में बताया गया है कि मां दुर्गा के नौ रूप औषधियों के रूप में किस प्रकार इस सृष्टि को सुख पहुंचाते हैं।
- वर्ष के आरंभ में कर्तव्यनिष्ठ बनने एवं मर्यादा का सदैव पालन करने का संकल्प लेना चाहिए। इस भावना का विकास होने पर ही रामराज्य का अवतरण संभव हो सकेगा। नवरात्र में देवी पूजन का अर्थ यह है कि स्त्री ही कल्याणी है और वह हर रूप में आराध्य है। इस नवरात्र पर हम प्रार्थना करें कि हर स्त्री में समूचा आसमान समा सके और वह पूरी धरती को नाप सके।
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