Thursday, May 13, 2010

Pratahkal - सभी धर्मों में गाय वंदनीय

Pratahkal - सभी धर्मों में गाय वंदनीय

  • राजसमन्द
  • गौभक्त संत जगदीश गोपाल ने कहा कि श्रीराम केे पूर्वज महाराज दिलीप ने कुलगुरू महर्षि वशिष्ठ की बछियां नन्दिनी की रक्षा के लिए सिंह को अपना शरीर अपर्ण कर दिया किंतु जीते-जी उसकी हिंसा नहीं होने दी। गाय सम्पूर्ण तपस्वियों से बढ़ कर है। भगवान शंकर ने गौ के साथ रहकर तप किया। कई उपवास करने पर भी गौतम को निर्वाण नहीं मिला, सुजाता नामक युवती ने 2600 गायों को जैठीमधु के वन में चराकर उसके दुध से खीर तैयार करके उनको खिलाई तब उनको ज्ञान प्राप्त हुआ और वे बुद्ध हो गए। मुस्लिम धर्म के संस्थापक मोहम्मद साहब ने गाय की इज्जत करने की आज्ञा दी। मुसलमानी धर्म ग्रंथों में गाय के दुध को अमृत और उसके मांस को विष बतलाया। बाईबल में वृषभ को देवता माना है। महाराज ने कहा कि सभी धर्मों में गाय को वंदनीय माना गया है। तिलं न धान्यं पशवों न गाव: .... शास्त्रों में गाय के दूध को अमृत कहा गया है। गाय के दुध, गोबर एवं मूत्र के सेवन और निर्मित औषधियों से मनुष्य के छोटे से बड़े सभी रोगों में विशेषकर कैंसर जैसी भयंकर बीमारी मे भी इसका इलाज किया जाता है। गौ धार्मिक, आर्थिक और वैज्ञानिक सभी दृष्टि से ईश्वर की सृष्टि में गौ का प्रमुख स्थान है। ऐसी अवस्था में हिन्दु, मुस्लिम, सिख, ईसाई इत्यादि सभी भारत वासियों के लिए गौ एक राष्ट्रीय धर्म है।