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- सिख विवाह कानून के कुछ और अर्थ
- आलोक तोमर
- सिखों में विवाह को आनंद कारज या आनंद कार्य कहा जाता है। नए कानून मेंं सिख जीवन शैली को कानूनी मान्यता दी जाएगी। वैसे आज भी सिख जीवन शैली के खिलाफ कोई कानून नहीं हैं। सिख धर्म हिंदू धर्म की एक शाखा के तौर पर विकसित हुआ था और अब इसकी अलग स्वायत्ता है। वैसे सिखों के पवित्र गुरु ग्रंथ साहब में हिंदू देवी देवताओं और खास तौर पर शिव की कई बार स्तुति की गई है। सिख रेजीमेंट का जो नारा है - निश्चय हो अपनी जीत करूं- यह वरदान भगवान शंकर से मांगा गया है और पूरा सबद है- शिव वर देहु हमें, निज करमन से कबहुं न डरों, न डराें रिपु से, न डरों अरि से, निश्चय हो अपनी जीत करों। इसलिए थोड़ा अटपटा भी लगता है कि सिखों के लिए खास तौर पर विवाह में एक अलग कानून बनाया गया हैं।
- मगर यदि अपने सिख भाईयों को एक कानून से ही शांति मिल जाती है तो क्या बुरा है?
- मगर भारत के सिख समुदाय के सामने समस्याएं और भी है। ये समस्याएं ज्यादा बड़ी हैं और उन पर ज्यादा ध्यान दिया जाना चाहिए। जैसे अफगानिस्तान में जब सोवियत फौजे घुसी थी तब से वहां खून और बारुद की ही कहानियां सामने आ रही है और वहां बसे काफी रईस सिख व्यापारी और आम लोग सब कुछ छोड़ छाड़ कर भारत आने पर मजबूर हुए थे। लगभग बीस साल होने जा रहे हैं मगर उन्हे अब तक भारतीय नागरिकता नहीं मिली। दो विकल्प हो सकते हैं। एक तो भारतीय संविधान के नागरिकता कानून 1955 के तहत उन्हें भारत की नागरिकता दी जाए या फिर भारत जो अफगानिस्तान में पहले जैसे अच्छे हालात बहाल करने के लिए जी तोड़ कोशिश कर रहा है, माहौल बनाए कि ये सिख परिवार अफगानिस्तान लौट सके और इन्हे इनकी संपत्ति और कारोबार वापस मिल सकें। 1984 के सिख विरोधी अत्याचार पर निर्णायक ढंग से न्याय मांगने की कोशिश भी फिलहाल सिख नेतृत्व ने छोड़ दी है।