Saturday, June 13, 2009

ज्योतिष की सार्थकता: वैदिक विज्ञान के रहस्य

  • tags: Vedic, Astrology

    • Free Clipart
    • किन्तु  विज्ञान की परिभाषा यदि सही अर्थों में समझ ली जाय तो अध्यात्म, ज्योतिष,तंत्र-मंत्र इत्यादि जितनी भी गूढ विधाएं हैं, उन सब को विज्ञान की अति उच्चस्तरीय उन विधाओं के रूप में माना जायगा जो दृश्य परिधि के बाद अनुभूति के स्तर पर आरम्भ होती हैं । इतना भर जान लेने लेने पर वे सारे विरोधाभास मिट जायेंगे जो आज विज्ञान और परा विधाओं के बीच बताए जाते हैं ।
    • यह कितने आश्चर्य का विषय है कि वर्तमान युग में वैज्ञानिकों द्वारा अनुसंधान पर अनुसंधान करने के पश्चात कई दशकों में यह अनुमान लगाया गया कि विश्व में पदार्थ एवं अपदार्थ/प्रतिपदार्थ (Matter and Antimatter) समान रूप से उपलब्ध है। जबकि ऋग्वेद की एक छोटी सी ऋचा में यह वैज्ञानिक सूत्र पहले से ही अंकित है।
    • उक्त लेख में लेखक ने लिखा है कि Matter and Antimatter जब पूर्ण रूप से मिल जाते हैं तो पूर्ण उर्जा में बदल जाते है। वेदों में भी यही कहा गया है कि सत् और असत् का विलय होने के पश्चात केवल परमात्मा की सत्ता या चेतना बचती है जिससे कालान्तर में पुनः सृष्टि (ब्रह्मांड) का निर्माण होता है।
    • अगर देखा जाए तो  इस प्रकार का न जाने कितना अकल्पनीय ज्ञान वेद-पुराणों में भरा पडा है, जिसके जरिए इस सृ्ष्टि ओर उसके रचनाकार से पर्दा उठाया जा सकता है।

Posted from Diigo. The rest of my favorite links are here.