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- हम आपको बताते हैं कि कहानी क्या है? इस रिपोर्ट में लगभग 9 हजार पन्ने उन अलग अलग कमेटियों और अदालती निष्कर्षों की प्रतियों के हैं जिन्हें लिब्राहन का निष्कर्ष नहीं कहा जा सकता। इसके अलावा लगभग पांच सौ पन्ने उन गवाहियों के हैं जो न्यायमूर्ति लिब्राहन ने जैसी की तैसी बगैर किसी निष्कर्ष के रख दी हैं कुल मिला कर कहने का आशय सिर्फ यह है कि सिर्फ रद्दी का एक भंडार है लिब्राहन कमेटी की रिपोर्ट और उससे अयोध्या का पूरा सच कभी पता नहीं चलने वाला।
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Thursday, July 2, 2009
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» Blog Archive » रद्दी का पुलंदा है लिब्राहन कमेटी की रिपोर्ट
2009-07-02T19:54:00+05:30
Common Hindu