Friday, July 17, 2009

महाजाल पर सुरेश चिपलूनकर (Suresh Chiplunkar): नारी का सम्मान, सामाजिक मूल्य और TRP के भूखे भेड़िये… Sach Ka Samna, Star Plus, TRP & Dignity of a Woman

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    • किसी महिला की इज़्ज़त, सम्मान और उसके परिवार के प्रति समर्पण की क्या कीमत तय की जा सकती है? उत्तरप्रदेश में तो रीता बहुगुणा ने मायावती की इज़्ज़त का भाव एक करोड़ लगाया है, लेकिन यहाँ बात दूसरी है। स्टार प्लस ने अपने कार्यक्रम “सच का सामना” में महिला की बेइज़्ज़ती की कीमत सीढ़ी-दर-सीढ़ी तय कर रखी है, कार्यक्रम में प्रतियोगी (चाहे वह मर्द हो या औरत) जिस स्तर तक अपमानित होना चाहता उसे उस प्रकार की कीमत दी जायेगी, यानी 1 लाख, 5 लाख, 10 लाख आदि।

      जिन पाठकों ने अभी तक यह कार्यक्रम नहीं देखा है उन्हें ज़रूर देखना चाहिये, ताकि उन्हें भी पता चले कि “बालिका वधू” द्वारा बुरी तरह पिटाई किये जाने के बाद, TRP नामक गन्दगी के लिये इलेक्ट्रानिक मीडियारूपी भेड़िया कितना नीचे गिर सकता है।
    • हालांकि कहने के लिये तो इस कार्यक्रम को खेल का नाम दिया गया है, लेकिन हकीकत में यह “दूसरों की इज़्ज़त उतारकर उसे सरेआम नीचा दिखाकर खुश होने” के मानव के आदिम स्वभाव पर आधारित है। इसमें एंकर 21 सवाल पूछेगा और पूरी तरह से नंगा होने वाले आदमी (या औरत) को एक करोड़ रुपये दिये जायेंगे। जिस तरह आज भी दूरस्थ इलाके में स्थित गाँवों में दलितों की स्त्रियों को नंगा किया जाता है और लोग आसपास खड़े होकर तालियाँ पीटते हैं, यह कार्यक्रम “सच का सामना” उसी का “सोफ़िस्टिकेटेड” स्वरूप है।
    • दुख की बात यह है कि बात-बेबात पर नारी सम्मान का झण्डा बुलन्द करने वाले महिला संगठन नारी के इस असम्मान पर अभी तक चुप हैं।
    • अब आते हैं इस कार्यक्रम के असली मकसद पर, जैसा सर्वविदित है कि कलर्स चैनल पर आने वाले कार्यक्रम “बालिका वधू” द्वारा TRP के खेल में स्टार प्लस को बुरी तरह खदेड़ दिया गया है। स्टार प्लस पहले भी विदेशी कार्यक्रमों की नकल करके अपनी TRP बढ़ाता रहा है, अथवा एकता कपूर मार्का “घरतोड़क और बहुपतिधारी बीमारी वाले सीरियलों” को बढ़ावा देकर गन्दगी फ़ैलाता रहा है, लेकिन जब उसे एक खालिस देशी “कॉन्सेप्ट” पर आधारित बालिका वधू ने हरा दिया तो बेकरारी और पागलपन में स्टार प्लस को TRP बढ़ाने का सबसे अच्छा तरीका लगा “नंगई का प्रदर्शन”। पहले तो स्टार प्लस ने ओछे हथकण्डे अपनाकर कभी सामाजिक संगठनों, कभी बाल-विवाह विरोधी NGOs को आगे करके और कभी शरद यादव के जरिये संसद में सवाल उठवाकर बालिका वधू को बन्द करवाने / बदनाम करने की कोशिश की, लेकिन फ़िर भी बात नहीं बनी तो “लोकप्रियता”(?) पाने का यह नायाब तरीका ढूँढ निकाला गया। सच का सामना नामक यह कार्यक्रम पूरी तरह से धोखेबाजी पर आधारित है, जिसमें स्टार प्लस जब चाहे बेईमानी कर सकता है (पहले ही एपिसोड में की) (इस बात में कोई दम नहीं है कि इतना बड़ा चैनल और पैसे वाले लोग थोड़े से पैसों के लिये बेईमानी नहीं कर सकते)।