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- मान लें यदि कोई पागल व्यक्ति आपके घर के सामने कूड़ा-करकट फ़ैला रहा है, सम्भव है कि वह कूड़ा-करकट आपके घर को भी गन्दा कर दे, तब आप क्या करेंगे?
- A) पागल को रोकने की कोशिश करेंगे,
- B) अपने घर के दरवाजे बन्द कर लेंगे कि, मुझे क्या करना है? (यह बिन्दु शंकर फ़ुलारा जी के ब्लॉग से साभार)
- यदि स्मिता लालच में फ़ँसकर अपनी इज़्ज़त लुटवा रही है तो आलोचना किसकी होना चाहिये स्टार प्लस की या स्मिता की? सामाजिक जिम्मेदारी किसकी अधिक बनती है स्मिता की या स्टार प्लस की? “चैनलों का काम ही है अश्लीलता फ़ैलाना और बुराई दिखाना…” यह कहना बेतुका इसलिये है कि ऐसा करने का अधिकार उन्हें किसने दिया है? और यदि वे अश्लीलता फ़ैलाते हैं और हम अपनी आँखें या टीवी बन्द कर लें तो बड़ा दोष किसका है? आँखें (टीवी) बन्द करने वाले का या उस चैनल का? इस दृष्टि से तो हमें केतन पारिख को रिहा कर देना चाहिये, क्योंकि स्मिता की तरह ही निवेशक भी लालच में फ़ँसे हैं सो गलती भी उन्हीं की है, वे लोग क्यों शेयर बाजार में घुसे, केतन पारेख का तो काम ही है चूना लगाना? शराब बनाने वालों को छोड़ देना चाहिये क्योंकि यह तो “चॉइस” का मामला है, सिगरेट कम्पनियों को कानून के दायरे से बाहर कर देना चाहिये क्योंकि पीने वाला खुद ही अपनी जिम्मेदारी से वह सब कर रहा है? यह भी तो एक प्रकार का “स-सहमति सहशयन” ही है, बलात्कार नहीं।
- इसी प्रकार यदि कहीं पर कोई अपसंस्कृति (कूड़ा-करकट) फ़ैला रहा है तब अपने दरवाजे बन्द कर लेना सही है अथवा उसकी आलोचना करके, उसकी शिकायत करके (फ़िर भी न सुधरे तो ठुकाई करके) उसे ठीक करना सही है। दरवाजे बन्द करना, आँखें बन्द करना अथवा टीवी बन्द करना कोई इलाज नहीं है, यह तो बीमारी को अनदेखा करना हुआ। ऐसे चैनल क्यों देखते हो का जवाब तो यही है कि वरना पता कैसे चलेगा कि कौन-कौन, कहाँ-कहाँ, कैसी-कैसी गन्दगी फ़ैला रहा है?
- यदि यह शो वयस्कों के लिये है तब इस प्रकार की वैधानिक चेतावनी क्यों नहीं जारी की गई और इसका समय 10.30 की बजाय रात 12.30 क्यों नहीं रखा गया? कांबली-सचिन के फ़ुटेज दिखा-दिखाकर इसका प्रचार क्यों किया जा रहा है? क्योंकि पहले भी कंडोम के प्रचार में राहुल द्रविड और वीरेन्द्र सहवाग को लिया जा चुका है और कई घरों में बच्चे पूछते नज़र आये हैं कि पापा क्रिकेट खेलते समय मैं भी राहुल द्रविड जैसा कण्डोम पहनूंगा… क्या यह कार्यक्रम बनाने वाला चाहता है कि कुछ और ऐसे ही सवाल बच्चे घरों में पूछें?
- भारत में “आधुनिकता”(?) के मापदण्ड बदल गये हैं (बल्कि चालबाजी द्वारा मीडिया ने बदल दिये गये हैं), एक नज़र इन खबरों पर डाल लीजिये जिसमें इस घटिया शो के कारण विभिन्न देशों में कैसी-कैसी विडम्बनायें उभरकर सामने आई हैं,
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प्रकरण – 1 : मोमेंट ऑफ़ ट्रुथ का ग्रीक संस्करण प्रतिबन्धित किया गया… - प्रकरण 2 – पति की हत्या के लिये भाड़े का हत्यारा लेना स्वीकार करने पर कोलम्बिया में भी इस शो पर प्रतिबन्ध (मूल रिपोर्ट जोशुआ गुडमैन APP)
- “नाली में गन्दगी दिखाई दे रही है तो उसे साफ़ करने की कोशिश करना चाहिये, यदि नहीं कर सकते तो उसे ढँकना चाहिये, लेकिन यह जाँचने के लिये, कि नाली की गन्दगी वाकई गन्दगी है या नहीं, उसे हाथ में लेकर घर में प्रवेश करना कोई जरूरी नहीं…”।
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Wednesday, July 22, 2009
भारतीय समाज, सच का सामना, TRP की भूख और कुछ महत्वपूर्ण सवाल… Sach Ka Samna, TRP Rating & Indian Society
भारतीय समाज, सच का सामना, TRP की भूख और कुछ महत्वपूर्ण सवाल… Sach Ka Samna, TRP Rating & Indian Society
2009-07-22T21:16:00+05:30
Common Hindu