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पुण्य प्रसून बाजपेयी: रिंग में आडवाणी-भागवत आमने सामने
- 1948 में जब तब के सरसंघचालक गुरु गोलवरकर ने देश के गृहमंत्री सरदार पटेल को लिख कर दिया था कि आरएसएस सामाजिक-सांस्कृतिक संगठन है, उस दौर में संघ ने चाहे सोच लिया होगा कि एक दिन ऐसा जरुर आयेगा जब देश को संघ के स्वयंसेवक ही चलाएंगे। लेकिन संघ ने कभी यह नहीं सोचा होगा कि वहीं स्वयसेवक सत्ता में आने के बाद संघ को ही हाशिये पर ढकेलने लगेगा। वहीं स्वयंसेवक संघ के दर्द पर और नमक छिड़केगा।
- वाजपेयी के दौर में सत्ता में बैठे स्वयंसेवकों से सबसे बडा झटका आरएसएस को तब लगा जब उत्तर-पूर्वी राज्य में चार स्वसंवकों की हत्या हो गयी और देश के गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने नार्थ ब्लाक से सिर्फ पांच किलोमीटर दूर झडेवालान के संघ मुख्यालय जाकर मारे गये स्वयंसेवकों की तस्वीर पर फूल चढ़ा कर श्रद्धांजलि देना तक उचित नहीं समझा। बाकि कोई कार्रवाई की बात तो बेमानी है, चाहे उस वक्त सरसंघचालक सुदर्शन से लेकर भाजपा-संघ के बीच पुल का काम रहे मदनदास देवी ने गृहमंत्री आडवाणी से गुहार लगायी कि उन्हें जांच करानी चाहिये कि हत्या के पीछे कौन है।
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Sunday, August 30, 2009
पुण्य प्रसून बाजपेयी: रिंग में आडवाणी-भागवत आमने सामने
पुण्य प्रसून बाजपेयी: रिंग में आडवाणी-भागवत आमने सामने
2009-08-30T00:36:00+05:30
Common Hindu