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- वर्ष 2005 में हाजियों की संख्या 80786 थी और तब प्रति व्यक्ति 24844 रुपये हज सब्सिडी दी गई थी अर्थात करीब 200 करोड़ रुपये। मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराए गए आकड़ों से यह खुलासा हुआ कि प्रति वर्ष अकेले हज सब्सिडी में करीब सौ करोड़ की वृद्धि की गई है। वर्ष 2008 में हाजियों की संख्या 121695 है और प्रति व्यक्ति 60876 रुपये हज सब्सिडी दी गई। यह राशि करीब साढ़े सात सौ करोड़ रुपये है अर्थात पाच साल में चार गुना वृद्धि हुई है।
- अन्य मतावलंबियों के संबंध में पूछे गए प्रश्न के जवाब में केवल कैलाश मानसरोवर यात्रा का उल्लेख है। मंत्रालय ने बताया है कि कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए कुछ अतिरिक्त संचार-तंत्रीय व्यवस्थाओं को करने के लिए सरकार प्रति तीर्थयात्री 3250 रुपये का भुगतान कुमाऊं मंडल विकास निगम को करती है। यह छोटी सी राशि तीर्थयात्रियों का व्ययभार कम करने के लिए नहीं दी जाती। कानून एवं व्यवस्था कायम करना सरकार का दायित्व है और कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग में यदि संचार व सुरक्षा पर कोई राशि खर्च की जाती है तो उसकी तुलना हज सब्सिडी से कैसे की जा सकती है?
- यह भी स्वाभाविक प्रश्न है कि हज सब्सिडी क्या सरकार अपनी जेब से देती है? यह तो जनता से एकत्रित राजस्व से दी जाती है। इसलिए हज सब्सिडी को मैं हिंदुओं पर जजिया कर के समान ही मानता हूं।
- [हज सब्सिडी को शासन के स्तर पर मजहबी भेदभाव का प्रमाण मान रहे हैं बलबीर पुंज]
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Thursday, August 6, 2009
पक्षपातपूर्ण पंथनिरपेक्षता - Jagran - Yahoo! India - Opinion News
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2009-08-06T21:42:00+05:30
Common Hindu