Friday, September 18, 2009

सादगी जरूरी, पर सुरक्षा उससे भी ज्यादा जरूरी

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    • क्या पांच करोड़ में इमारत नई न बन जाए। पर रेनोवेशन का बिल आया है नौ करोड़ रुपए। सरकारी खजाने की ऐसी बेहिसाब लूट पर किसी को एतराज नहीं। पर एसएम कृष्णा, शशि थरूर अपने पैसे से फाइव स्टार में रहें। तो एतराज। यह कैसी सादगी। यह तो सादगी की चोंचलेबाजी। वैसे भी कौन मन से अपना रहा था सादगी मंत्र।
    • कम से कम कांग्रेस के मंत्रियों को ऐसी सादगी की आदत नहीं। पर सादगी से ज्यादा तो नौटंकी हो गई। सादगी होती, अगर मन से होती। पर अपन इस बहस में नहीं जाते। सादगी से ज्यादा फिक्र की बात सुरक्षा की। पानीपत के पास जो कुछ हुआ। उसका जिम्मेदार कौन। क्या खुद राहुल नहीं। राहुल लौट रहे थे लुधियाना से। तो शताब्दी पर पथराव हो गया। क्या ट्रेन में सफर की नुमाइश को अपन सादगी कहें। राहुल ने एसपीजी रूल बुक का भी खुल्ला उल्लंघन किया। एसपीजी के साथ नाईंसाफी की। अगर राहुल को कुछ हो जाता। तो कौन जिम्मेदार होता।