Thursday, September 24, 2009

visfot.com । विस्फोट.कॉम - सरकार से बड़ा सईद

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    • मुंबई पर आतंकी हमलों के बाद भारत ने दाऊद गान की बजाय जो सईद राग का गायन शुरू किया है उसका पाकिस्तान पर असर क्यों नहीं होता? इसके कारण गहरे हैं और भारत को यह समझना होगा कि हाफिज सईद पाकिस्तानी सेना का अघोषित सरदार है क्योंकि उसके ट्रेन्ड किये गये लोग आज पाकिस्तानी सेना के आला अफसर हैं.
    • सईद की पड़ताल करती शेष नारायण सिंह की रिपोर्ट-
    • यहाँ यह स्पष्ट कर देना ज़रूरी है कि पाकिस्तान में हुकूमत किसी ज़रदारी या किसी गीलानी की नहीं चलती. यह बेचारे तो अमरीका से लोक तंत्र बहाली के नामा पर पैसा ऐंठने के लिए बैठाए गए हैं . वहां सारी हुकूमत फौज की है और हाफिज़ सईद फौज का अपना बंदा है. फौज और आईएसआई में कोई फर्क नहीं है. सब मिलकर काम करते हैं और पाकिस्तान की गरीब जनता के भविष्य के साथ खिलवाड़ करते हैं .हाफिज़ सईद की हैसियत का अंदाज़ इस बात से भी लगाया जा सकता है कि जनरल जिया के वक़्त से ही वह फौज में तैनाती वगैरह के लिए सिफारिश भी करता रहा है और पाकिस्तान के बारे में जो लोग जानते हैं उनमें सब को मालूम है कि ट्रान्सफर पोस्टिंग के माम्मले में हाफिज़ सईद के एसिफारिश कभी खाली नहीं जाती.  यानी हाफिज़ सईद ने अगर १९८० में फौज के छोटे अफसरों की मदद की होई तो वे लोग आज फौज और आई एस आई में टॉप पोजीशन  पर होंगें. और उनसे उम्मीद करना कि हाफिज़ सईद पर कोई कार्रवाई  होने देंगें, बहुत ही बेतुकी बात है.
    • यानी अगर पाकिस्तान पर सही अर्थों में दबाव बनाना है तो सबसे ज़रूरी यह है कि फौज  में जो उनके चेले हैं उन्हें अर्दब में लिया जाए. इसका एक तरीका तो यह है उनकी फौज के ताम झाम को कमज़ोर किया  जाए. इस मकसद को हासिल करने के लिए ज़रूरी है उनकी फौज को अमरीका से मिलने वाली मदद पर फ़ौरन रोक लगाई जाए.
    • परमाणु हथियारों के धंधे के अलावा, पाकिस्तान विदेश नीति की एक नीति के रूप में  झूठ का भी खूब इस्तेमाल  करता है . इसलिए अगर मानवीय सहायता के लिए भी अगर उसे पैसा मिला तो वह उसे आतंकवाद के भरण पोषण के लिए इस्तेमाल करने से नहीं चूकेगा.
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    • कदीर का पत्र सार्वजनिक होने के दो कारण हैं एक तो अमेरिकी राष्ट्रपति संयुक्त राष्ट्र संघ में परमाणु अप्रसार सम्बन्धी एक प्रस्ताव लाकर परमाणु अप्रसार सधि के दायरे में पाकिस्तान, भारत और इजरायल को लाना चाहते हैं इसलिये पाकिस्तान को एनपीटी सन्धि पर हस्ताक्षर के लिये दबाव बनाकर भारत और इजरायल पर भी ऐसा ही दबाव बनाया जायेगा।
      दूसरा ईरान के साथ पाकिस्तान के परमाणु सम्बन्धों की बात सामने आने से अब ईरान के ऊपर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाने में सरलता होगी और साथ ही अधिक देशों का सहयोग मिल सकेगा।