Tuesday, November 24, 2009

पंथनिरपेक्षता के बहाने

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    • यह स्थापित सत्य है कि बालीवुड के एक भाग की राष्ट्रविरोधी जिहादियों के साथ गहरी साठगाठ है। बालीवुड की फिल्मों में अंडरव‌र्ल्ड और जरायम की दुनिया से कमाए धन के निवेश की बात रहस्य नहीं है। बालीवुड की अधिकतर फिल्मों में एक पूर्वाग्रह स्पष्ट दिखता है। हिंदी फिल्मों में बहुधा हिंदू साधु-संन्यासियों को व्यभिचार करते या मंदिरो-मठों को जुएंबाजी व नशेड़ियों के अड्डे के रूप में दिखाया जाता है। रहीम चाचा हमेशा दयालु और सबके मददगार होते हैं, चर्च और पादरी मजलूमों के लिए लड़ते हैं, किंतु विष्णुदत्त या रामावतार को प्राय: दुर्गुणों का भंडार ही दिखाया जाता है। कई फिल्मों में दुष्कर्म, हत्या, तस्करी करने वाले को तिलकधारी और भगवा पटका लटकाए दर्शाया जाता है। कुछ समय पूर्व महेश भट्ट ने फिजा, मिशन कश्मीर, गदर, सरफरोश आदि फिल्मों का विरोध किया था, क्योंकि इसमें मुसलमानों व खासकर पाकिस्तान की छवि कथित रूप से ठीक से प्रस्तुत नहीं की गई थी। आतंकवाद और पाकिस्तान के नापाक इरादों से नकाब उतारने वाली फिल्मों का विरोध क्यो?
    • मैंने पहले भी इस साजिश की ओर ध्यान आकृष्ट किया था कि अपने प्रेमजाल में हिंदू लड़कियों का फांसकर और उनसे निकाह कर मुस्लिम युवक आईएसआई के सौजन्य से देश को तबाह करने पर तुले हैं।
    • महेश भट्ट सेकुलर भारत के चलते-फिरते उदाहरण हैं। हिंदू ब्राह्मंाण नानाभाई भट्ट के पुत्र महेश की मा शिया मुस्लिम थीं। राहुल इनकी पहली पत्नी से प्राप्त संतान हैं। इमरान हाशमी के पिता शिया मुसलमान और मा ईसाई हैं। राहुल और इमरान पर यदि हेडली को मदद पहुंचाने का आरोप है तो एक और अदाकार संजय दत्त पर भी गंभीर आरोप हैं। भारत पर आतंकी हमलों की साजिश रचने वाले हेडली के पिता पाकिस्तानी मुस्लिम और मा ईसाई हैं। आखिर संभ्रात, संपन्न व शिक्षित वर्ग कथित जिहाद के लिए अपना सर्वस्व दाव पर लगाने को कैसे तैयार हो जाता है। क्या इस्लामी आतंक मुट्ठी भर अशिक्षित और भटके हुए नौजवानों की करतूत है? अमेरिका के व‌र्ल्ड ट्रेड सेंटर से लेकर लंदन के ग्लासगो पर हमला करने वाले आधुनिक ंिवषयों के स्नातक व परास्नातक हैं। बेंगलूर, जयपुर आदि आतंकी घटनाओं में लिप्त 'सिमी' के सदस्य आधुनिक ज्ञान-विज्ञान के शिक्षार्थी हैं।
    • [डेविड हेडली के संपर्क सूत्रों के संदर्भ में जो सामने आया उस पर हैरत जता रहे हैं बलबीर पुंज]

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