Friday, December 25, 2009

मजहबी आरक्षण का खतरा

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    • काग्रेस जिन्ना की मुस्लिम लीग हो गई है। पहले अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का है। फिर सच्चर कमेटी से कहलवाया कि मुसलमानों की हालत अनुसूचित जातियों से भी बदतर है। सिद्धात यह बनाया कि जहा जहा इस्लाम वहा वहा गरीबी और जहां जहा हिंदू वहां अमीरी।
    • नेहरू और पटेल की काग्रेस ने ही अल्पसंख्यक आरक्षण की समाप्ति का निर्णय लिया था, लेकिन सोनिया की काग्रेस लीग के रास्ते है।
    • पटेल ने संविधान सभा में (25 मई 1949) समिति की रिपोर्ट रखी और कहा कि मुस्लिम प्रतिनिधि ऐसे आरक्षणों के खिलाफ हैं। मुस्लिम आरक्षण राष्ट्र की एकता में बाधक था। यह प्रस्ताव और निर्णय संविधान सभा के मुस्लिम सदस्यों की अगुवाई में ही लिया गया था। आश्चर्य है कि रंगनाथ मिश्र ने संविधान सभा की अल्पसंख्यक परामर्शदात्री समिति और संविधान सभा की कार्यवाही से कोई प्रेरणा नहीं ली।
    • [हृदयनारायण दीक्षित: लेखक उप्र सरकार के पूर्व मंत्री हैं]

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