Sunday, January 10, 2010

मकर संक्रांति : करें सूर्य उपासना

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    • ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य वर्षर्पयत मेष से लेकर मीन तक एक-एक माह की अवधि के लिए सभी राशियों में भ्रमण करते हैं। १४ अथवा १५ जनवरी को सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं। मकर और कुंभ राशियां सूर्य के पुत्र शनि की राशियां हैं और शनि सूर्य से बैर रखता है।



      दुश्मन की राशि मकर में सूर्य के प्रवेश करने और अगले दो महीनों के लिए शनि की मकर और कुंभ राशियों में सूर्य के रहने से और पिता-पुत्र में बैर भाव स्थिति से पृथ्वीवासियों पर किसी प्रकार का कुप्रभाव न पड़े, इसलिए हमारे ऋषि-मुनियों ने तीर्थ स्नान, दान और धार्मिक कर्मकांड के उपाय सुझाए हैं। मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ से बने लड्डुओं का उपयोग करने और उसके दान के पीछे भी यही मंशा है।



      ज्योतिष के अनुसार तेल शनि का और गुड़ सूर्य का खाद्य पदार्थ है। तिल तेल की जननी है, यही कारण है कि शनि और सूर्य को प्रसन्न करने के लिए इस दिन लोग तिल-गुड़ के व्यंजनों का सेवन करते हैं। तीर्थो पर स्नान और दान-पुण्य की व्यवस्था भी इसी उद्देश्य से रखी गई है कि पिता-पुत्र के बैर भाव से इस जगत के निवासियों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़े और भगवान उसे किसी भी बुरी स्थिति से बचाएं।

    • मकर संक्रांति के दिन से लोग मलमास के बंधन से मुक्त हो जाएंगे। विवाह, गृह प्रवेश और अन्य शुभ कार्यो के लिए लोगों को इस दिन का बेताबी से इंतजार रहता है। ज्योतिष शास्त्र में मलमास के दौरान शुभ कार्य अनिष्ट कारक माने जाते हैं। मकर संक्रांति से सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण में आ जाते हैं।

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