Friday, February 12, 2010

पुण्यतिथि 11 फरवरी पर विशेष: आधुनिक राजनीति में शुचिता के प्रतीक दीनदयाल उपाध्याय

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    • द्वारा: विजय प्रकाश विप्लवी
    • राजनीति ने राष्ट्र-जीवन में कुछ ऐसे दोष उत्पन्न कर दिये हैं, जो हमारे लिये अभिशाप बन गये हैं। जातिवाद, सिद्धांतहीनता, पदलोलुपता, वैमनस्यता और अनुशासनहीनता सर्वत्र फैलती जा रही है। इन दोषों से छुटकारा पाने का एकमेव उपाय है कि राजनीति की बागडोर ऐसे व्यक्तियों के हाथ में हो, जिनके सबल पग न तो मोह में फंस सकें और न कठिनाईयों में डगमगा सकें, वरन् दृढ़ता से एक ऐसा मार्ग प्रशस्त करते चलें, जो जनता के लिये आदर्श और प्ररेणा प्रस्तुत कर सके। पं. दीनदयाल उपाध्याय उन आदर्श पुरूषों में से एक थे, जिन्होंने शुक्र, बृहस्पति और चाणक्य की भांति आधुनिक राजनीति को शुचि और शुद्धता के धरातल पर खड़ा करने की प्रेरणा दी।
    • पुण्यतिथि 11 फरवरी पर विशेष: आधुनिक राजनीति में शुचिता के प्रतीक दीनदयाल उपाध्याय

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