Friday, February 12, 2010

महाजाल पर सुरेश चिपलूनकर (Suresh Chiplunkar): महाशिवरात्रि के पावन पर्व से मेरे ब्लॉग पर एक प्रयोग… ... Donation Paypal Code for Blogs

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    • अतः महाशिवरात्रि के पावन दिन से मैं अपने ब्लॉग पर “पे-पाल” का “डोनेट” बटन लगा रहा हूं, (देखें साइड बार) ताकि कोई सज्जन राष्ट्रवादी/हिन्दुत्ववादी विचारधारा के पोषण-प्रचार-प्रसार के लिये कोई आर्थिक सहयोग करना चाहते हों, तो वे अपने क्रेडिट कार्ड के जरिये “पे-पाल” के खाते में इच्छित राशि डाल सकते हैं। जिन बन्धुओं के पास “पे-पाल” खाता और क्रेडिट कार्ड नहीं है, उनके लिये “स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया” का एक “सेविंग अकाउंट” नम्बर "030046820585" दिया जा रहा है (साइड बार भी देखें), भारत के किसी भी कोने में रहने वाले व्यक्ति इस खाते में सीधे नकद राशि या चेक डाल सकते हैं। यह एक इंटरनेट बैंकिंग खाता है, और इस खाते शुरु करने हेतु मैंने इसमें 5000 रुपये की प्रारम्भिक राशि डाली है। इस खाते में आने वाली सहयोग राशि से निम्न कार्यों के संपादन-संचालन में मदद मिलेगी-

      1) लायब्रेरियों की सदस्यता, तथा सशुल्क पुस्तकों को डाउनलोड करना इत्यादि

      2) ब्लॉग पर विगत तीन वर्ष से लिखित सामग्री को पुस्तक का रूप देना

      3) उस पुस्तक को सामान्यजन तक निःशुल्क उपलब्ध करवाने हेतु लगने वाला धन

      4) महत्वपूर्ण राष्ट्रवादी लेखकों की पुस्तकों, शोधग्रन्थों आदि को खरीदने के लिये।

      5) कुछ महत्वपूर्ण सीडी, डीवीडी खरीदने एवं वेबसाईटों के रजिस्ट्रेशन अथवा पेड-डाउनलोड हेतु

      6) कार्यकर्ता सम्मेलनों और समविचारी लोगों से मिलने के लिये यात्रा करने आदि में…

      7) इंटरनेट, टाइपिंग इत्यादि का खर्च। यदि प्रयोग सफ़ल रहा और भविष्य में सम्भव हुआ तो इस जनजागरण कार्य के लिये अलग से एक कम्प्यूटर अथवा लेपटॉप खरीदकर एक टाइपिस्ट नियुक्त करना…

      8) ज़ाहिर है कि इससे ब्लॉग अथवा ब्लॉग्स पर अधिक गुणवत्तापूर्ण सामग्री प्रदान की जा सकेगी…

      इस प्रकार के अनेक कार्य होते हैं जिसमें निश्चित रूप से धन की आवश्यकता होती है। तात्पर्य यह कि विचारधारा को तो आगे बढ़ाना ही है, राष्ट्रवाद का प्रचार तो करना ही है, सेकुलरिज़्म और वामपंथ के दोगलेपन को उजागर तो करना ही है… यह काम तो ब्लॉग के माध्यम से सतत जारी है ही, लेकिन अब उसे और भी ज़मीनी स्तर तक उतारने का वक्त आ गया है जिसमें आर्थिक संसाधन आड़े नहीं आना चाहिये।

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