Sunday, February 7, 2010

महाजाल पर सुरेश चिपलूनकर (Suresh Chiplunkar): तिरंगे में सफ़ेद रंग “क्रिश्चियनिटी” का होता है और “जन-गण-मन” की धुन पर पोप की प्रार्थना…… Mockery of National Flag, National Anthem by Missionary

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    • मेरे मलयाली मित्र द्वारा किये गये वर्णन के अनुसार – प्रस्तुत वीडियो में तिरुवल्ला के शैरोन फ़ेलोशिप चर्च में केए अब्राहम नामक व्यक्ति कॉमेडी शो(?) प्रस्तुत कर रहा है। इसमें यह बताता है कि भारत के राष्ट्रीय ध्वज में “भगवा” रंग आक्रामकता का प्रतीक है, जबकि हरा रंग मुस्लिमों की बढ़ती आर्थिक खुशहाली (खाड़ी के पैसे द्वारा आई हुई) का प्रतीक है, लेकिन सबसे पवित्र है “सफ़ेद रंग” जो कि ईसाईयत का प्रतीक है, क्योंकि सफ़ेद रंग शांति का प्रतीक है (ईसाईयत = शान्ति)। और आगे अपना ज्ञान बखान करते हुए वह बताता है कि शक्तिशाली अशोक चक्र का मतलब है “अ-शोक” (अर्थात कोई दुख नहीं) और इस “अ-शोक” को सफ़ेद रंग के अन्दर इसलिये रखा गया है क्योंकि ईसाईयत में आने के बाद मनुष्य को कोई शोक नहीं होता। इसलिये जो भी दुखी और असहाय हैं, सफ़ेद रंग में रंग जायें, यानी ईसाईयत स्वीकार करें। तिरंगे की ऐसी व्याख्या कभी देखी-सुनी है आपने? लेकिन “सेकुलरिज़्म” को दूध पिलाने की सजा तो भुगतनी ही पड़ेगी, क्योंकि अब इसका “फ़न” धीरे-धीरे फ़ुंफ़कारे मारने लगा है।


      Direct Link : http://www.youtube.com/watch?v=ohpo2xDabqg
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