Thursday, February 18, 2010

visfot.com । विस्फोट.कॉम - नितिन गडकरी का पैगाम, बाबर के बराबर हुए राम

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    • प्रेम शुक्ला
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    • गडकरी का कहना है कि भाजपा अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनवाने के प्रति कृतसंकल्प है. गडकरी ने याद दिलवाया है कि राम मंदिर निर्माण के लिए भाजपा पहले भी आन्दोलन कर चुकी है और उसमें कारसेवकों ने अपना बलिदान भी किया है. गडकरी ने अत्यंत विनम्रता से मुस्लिमों से अपील कि है कि वे अयोध्या में राम मंदिर परिसर हिन्दुओं के लिए छोड़ दें. गडकरी ने मुसलामानों से सहृदयता का परिचय देनें की प्रार्थना भी की है. उनका मत है कि यदि मुसलमान उनकी इस मांग से राजी हो जाएं तो इस देश में भाईचारे और विकास के नए युग का सूत्रपात हो जाएगा।

      गड़करी महाराष्ट्र के सपूत हैं। उनकी सोच सर्वधर्मं समभाव वाली है.सवाल पैदा होता है कि क्या उनकी सोच को तथाकथित धर्मनिरपेक्षों कि बिरादरी सफल होने देगी? अयोध्या में राम मंदिर कि जगह पर बाबरी मस्जिद कायम रहे ये विचार इस देश के बहुसंख्यक मुसलामानों का कभी नहीं रहा है. इस्लाम कब बुतपरस्त हो गया जो किसी एक जगह पर सादे हुए ढाँचे को मस्जिद मान कर अड़ जाए? मक्का और मदीना में भी पुरानी मस्जिदों को हटाने कि परम्परा रही है. इस्लामी देशों में विकास के रास्ते पर आड़े आनेवाली मस्जिदों को हटाया जाता रहा है. मुंबई में बिल्डरों को फायदा पहुंचाने के लिए सत्ताधारी दलों के लोग मस्जिदें हटवाते रहे हैं. फिर बाबरी मस्जिद को लेकर मुसलमान क्यों अड़ गए?

    • भाजपा का मुसलमानों से अनुनयवादी रुख क्या जो हिन्दू हित की बात करेगा वही देश पर राज करेगा वाले नारे का पराभवकारी स्वरूप नहीं है? हिन्दू हित की बात करनेवाले मुसलमानों से रामलला के जन्मभूमि की भीख मांगने लगे, समान नागरिक संहिता को भूल गये और धारा 370 को अपने एजेण्डे से बाहर कर दिया. भाजपा का यह समझौतावादी चेहरा क्या विश्वनाथ प्रताप सिंह और चंद्रशेखर के चेहरे से भिन्न है? जब राम जन्मभूमि का मुद्दा खबरों से पूरी तरह से बाहर है, बाबरी मस्जिद के नाम पर बनी तमाम कमेटियां और उसके नेता हाशिये पर भी जगह बनाने में सफल नहीं है, उस समय समझौते का सुर छेड़ने का क्या औचित्य? मुसलमान कभी बाबरी मस्जिद के साथ नहीं था. भाजपा के उग्र आंदोलन, छद्म सेकुलरों के स्यापे, मुस्लिम नेताओं की विखण्डनवादी नीतियों से मुसलमान बाबर की तुलना राम से करने की गलती कर बैठा था. अब भाजपा स्वयं राम की तुलना बाबर से करने की गलती कर रही है. इससे मामले का निपटारा तो दूर है, नये सिरे से विवाद जरूर पैदा हो जाएगा.

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