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गोत्र विवाह पर क्या कहता है हिंदू मैरिज ऐक्ट?-फोकस-विचार मंच-Navbharat Times
- गोत्र सिस्टम इसलिए बनाया गया, ताकि किसी शख्स के पूर्वजों का पता चल सके। जानकारों के मुताबिक हजारों साल पहले ऋषियों व मुनियों के यहां उनके तमाम शिष्य दीक्षा लेते थे। इनके बीच आपसी विवाह आदि वर्जित था। इनके वंशजों ने भी इस परंपरा को कायम रखा। ये शिष्य अलग-अलग जातियों के थे लेकिन इनके गोत्र का निर्धारण उनके गुरु के नाम के मुताबिक हुआ। परंपरागत मैरिज सिस्टम में एक गोत्र में शादी पर बैन है। अभी भी देश के कई इलाकों में एक गोत्र में शादी नहीं होती, लेकिन 1955 में हिंदू मैरिज ऐक्ट बना और सभी पुराने परंपरागत कानून बदल दिए गए।
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