Sunday, May 16, 2010

Jagran - Yahoo! India - National :: नगालैंड में हिंदी का बोलबाला

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    • मुंबई में हिंदी बोलने पर थप्पड़ मारे जाने की घटना से दुखी मन नगालैंड के मोकोकचुंग जिले के लोंगसा गांव निवासी बुजुर्ग पियोंगतेमजन जमीर को देख खुशी से भर उठता है। हो भी क्यों नहीं, जमीर की 50 सालों की तपस्या का ही फल है कि आज उस नगालैंड में हिंदी को दूसरी राजभाषा का दर्जा प्राप्त है, जहां के लोग कुछ वर्ष पहले तक खुद को भारत का हिस्सा तक मानने को तैयार नहीं थे।
    • मुंबई [ओमप्रकाश तिवारी]
    • 22 साल की आयु में जमीर ने हिंदी सीखने के लिए वर्धा स्थित राष्ट्रभाषा प्रचार समिति का रुख किया, उस समय नागालैंड में हिंदी बोलना भी अपराध था। करीब छह साल हिंदी सीखने के बाद जमीर लोंगसा लौटे और अपने पुश्तैनी मकान में हिंदी की पाठशाला खोली।
    • भारत को दूसरा देश मानने वाले नागा विद्रोहियों ने उन्हें हिंदी का प्रचार-प्रसार बंद करने को कहा। ईसाई मिशनरियों ने ताने कसे कि हिंदी सीखकर हिंदू बन रहा है।
    • उनका कहना है कि हिंदी के माध्यम से नागा लोग देश को जानेंगे,भारत की संस्कृति को पहचानेंगे। इससे देश की एकता को आधार मिलेगा। जमीर की इस राष्ट्रसेवा के लिए उत्तर-पूर्व के छात्रों के बीच काम कर रही स्वयंसेवी संस्था माई होम इंडिया ने उन्हें शनिवार शाम वन इंडिया अवार्ड से सम्मानित किया।
    • गुरुजी का कहना है कि नगालैंड की सभी जनजातियों की बोली को जितनी अच्छी तरह देवनागरी में लिखकर अभिव्यक्त किया जा सकता है, उतना रोमन में नहीं। अब वह अपने इस अनुभव से नागा विद्रोहियों को सहमत करने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि लोगों पर आज भी विद्रोहियों की बातों का असर ज्यादा होता है।

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