Sunday, May 23, 2010

visfot.com । विस्फोट.कॉम - शैतानों के हवाले स्वास्थ्य सुरक्षा

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    • उमेंद्र दत्त
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    • हाल ही में रूस में जीएम सोयाबीन के चूहों पर हुए प्रयोगों की रिपोर्ट आई है। रिपोर्ट बताती है कि जीएम फसलें मनुष्यों के खाने के लिए कतई सुरक्षित नहीं हैं। यह रिपोर्ट ऐसे समय में सामने आयी है जब भारत में जीएम फसलों को जनता पर जबरदस्ती थोपने की भरसक कोशिश की जा रही है। यह प्रयास करने वालों में सरकार के कुछ मंत्रालय, जीएम बीज उत्पादक कम्पनियां, कृषि वैज्ञानिक, नौकरशाह और देश की भूख मिटाने की नौटंकी में शामिल योजनाकार और अर्थशास्त्रियों तथा मीडिया के एक खासवर्ग के शतुरमुर्ग शामिल है।
    • रूस में हुए इस अध्ययन से पता चलता है कि जीएम सोयाबीन खाने वाले स्तनपाईयों की तीसरी पीढ़ी नंपुसक हो गई है। यह प्रयोग किया है रशियन अकेडमी आफ साईंस के एक इंस्टीच्यूट आफ इकोलोजी और नेशनल एसोसियशन आफ जीन सिक्यूरिटी ने मिलकर। जीव विज्ञानी डॉ. एलेक्सी सूरोव इस प्रयोग के कर्ताधर्ता थे।
    • डॉ. सूरोव का यह भी कि इन दुष्प्रभावों के पीछे जीएम सोयाबीन की फसल पर छिड़के गए खरपतवारनाशक राऊंडअप भी एक कारक हो सकता है। क्योंकि यह जीमए सोयाबीन ‘राऊंडअप रेडी सोयाबीन’ था। उल्लेखनीस है कि आज पूरी दुनिया में राऊंडअप रेडी सोयाबीन एक प्रमुख जीएम फसल है। जिसकी निर्माता अमरीकी कम्पनी मोनसेंटो है। ‘राऊंडअप रेडी सोयाबीन’ऐसी जीएम फसल है जिसपर खरपतवारनाशकों का असर नहीं होता। इस जीएम किस्म को विकसित करने के पीछे तर्क है कि खरपतवारों को नियंत्रण करने के लिए गुढ़ाई करने के लिए काफी मेहनत लगती है।हाथ से की जाने वाली गुढ़ाई के लिए काफी मजदूर चाहिए होते हैं। इसलिए सोयाबीन में एक ऐसा जीन डाल दिया गया है जो भयानक जहरीले राऊंडअप खरपतवारनाशक से प्रभावित नहीं होता। मजदूरी बचाने के नाम पर भोजन ही जहरीला कर देने वाली विनाशकारी तकनीक को आप क्या कहेंगे?

      यहां यह भी उल्लेखनीय है कि यह वही ‘राऊंडअप खरपतवारनाशक’ है जिसका उपयोग अमरीका ने वियतनाम युद्ध में किया था। अमरीकी वायुसेना ने जंगल में छिपे वियतनामी सैनिकोें पर इसका सैनिक प्रयोग किया था। तब अमरीकी वायुसेना जंगल में वियतनामी सैनिक ठिकानों को निशाना बनाना चाहती थी। परन्तु घने जंगलों में उसे ठिकाने ढूंढने में दिक्कत आती थी। अतः जंगल को ही नष्ट कर करने के लिए हवाई जहाजों से राऊंडअप का छिड़काव किया गया। तब इसे ऐेजंेट ओरेंज का गुप्त नाम दिया गया था। यह 1967-68 की घटना है।

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