Tuesday, April 5, 2011

अल्पसंख्यकों की “अपनी” सरकार का दूसरा रोल मॉडल बनेगा केरल… Kerala Elections, Assembly Elections in India, Minority Appeasement

अल्पसंख्यकों की “अपनी” सरकार का दूसरा रोल मॉडल बनेगा केरल… Kerala Elections, Assembly Elections in India, Minority Appeasement:


सेकुलरों को यह जानकर खुशी(?) होगी कि केरल के आगामी विधानसभा चुनावों (Kerala Assembly Elections) में “खानग्रेस” पार्टी ने कुल 140 में से 74 टिकिट अल्पसंख्यकों को दिये हैं। यह तो अब एक स्वाभाविक सी बात हो गई है कि जिन विधानसभा क्षेत्रों में मुस्लिम अथवा ईसाई जनसंख्या का बहुमत है, वहाँ एक भी हिन्दू को टिकिट नहीं दिया गया है (“सेकुलरिज़्म की रक्षा” की खातिर दिया ही नहीं जा सकता), लेकिन ऐसे कई अल्पसंख्यक उम्मीदवार (Minority Community Candidates in Kerala) हैं जिन्हें हिन्दू बहुल क्षेत्रों से “खान्ग्रेस” ने टिकिट दिया है। यह रवैया साफ़ दर्शाता है कि“खानग्रेस” पार्टी को पूरा भरोसा है कि ईसाई और मुस्लिम वोट तो कभी भी “सेकुलरिज़्म” नाम के लॉलीपाप के झाँसे में आने वाले नहीं हैं, इसलिये जहाँ ईसाईयों और मुस्लिमों का बहुमत है वहाँ सिर्फ़ उसी समुदाय के उम्मीदवार खड़े किये हैं, जबकि हिन्दू तो चूंकि परम्परागत रूप से मुँह में “सेकुलरिज़्म” (Secularism of Hindus) का चम्मच लेकर ही पैदा होता है इसलिये वहाँ “कोई भी ऐरा-गैरा” उम्मीदवार चलेगा, वह तो उसे वोट देंगे ही। ज़ाहिर है कि यह सिर्फ़ और सिर्फ़ हिन्दुओं की जिम्मेदारी है कि “केरल में धर्मनिरपेक्षता” बरकरार रहे…।

जिस प्रकार कश्मीर में सिर्फ़ मुसलमान व्यक्ति ही मुख्यमंत्री बन सकता है, उसी प्रकार अगले 10-15 साल में केरल में यह स्थिति बन जायेगी कि कोई ईसाई या कोई मुस्लिम ही केरल का मुख्यमंत्री बन सकता है, यानी केरल “अल्पसंख्यकों की एक्सक्लूसिव सरकार” दूसरा रोल मॉडल सिद्ध होगा। अब यह तो “खानग्रेस” पार्टी के हिन्दू सदस्यों, विधायकों, पूर्व विधायकों, सांसदों को आत्ममंथन कर सोचने की आवश्यकता है कि 1970 में खान्ग्रेस से कितने अल्पसंख्यकों को टिकट मिलता था और 2010 में उसका प्रतिशत कितना बढ़ गया है, तथा सन 2040 आते-आते खान्ग्रेस पार्टी में हिन्दुओं की स्थिति क्या होगी, शायद उस वक्त 100 से अधिक उम्मीदवार मुस्लिम या ईसाई होंगे?


एक बात और… 170 सीटों में से 74 उम्मीदवार अल्पसंख्यक समुदाय से हैं, जबकि बाकी बचे हुए 66 उम्मीदवार सिर्फ़ कहने के लिये ही हिन्दू हैं, क्योंकि सही स्थिति किसी को भी नहीं पता कि इन 66 में से कितने “असली” हिन्दू हैं और इनमें से कितने “अन्दरखाने” धर्म परिवर्तन (Conversion in India) कर चुके हैं। जिस प्रकार भारत के भोले (बल्कि मूर्ख) हिन्दू सोनिया गाँधी(Sonia Gandhi a Christian) और राजशेखर रेड्डी (YSR is Christian) जैसों को हिन्दू समझते आये हों, वहाँ इन 66 उम्मीदवारों के असली धर्म का पता लगाने की “ज़हमत” कौन उठायेगा? और मान लें कि यदि 66 उम्मीदवार हिन्दू भी हुए, तब भी असल में वे हैं तो इटली की मैडम के गुलाम ही…

केरल, गोवा, पश्चिम बंगाल और असम में अल्पसंख्यकों के तुष्टिकरण के चलते जो स्थितियाँ आज बनी हैं, वह कोई रातोंरात तो नहीं हुआ है…। मुझे भड़काने वाला एवं नकारात्मक लिखने का आरोप लगाने वाले सेकुलरों को मैं चुनौती देता हूँ कि यदि वे“वाकई असली सेकुलर” हैं तो कश्मीर में हिन्दू मुख्यमंत्री बनवाकर दिखाएं, या नगालैण्ड में ही किसी हिन्दू को मुख्यमंत्री बनवाकर देख लें… मैं उसी दिन ब्लॉगिंग छोड़ दूंगा…। यदि यह काम नहीं कर सकते, तो स्वयं सोचें कि आखिर ऐसा क्यों है कि मुस्लिम बहुल या ईसाई बहुल राज्य/देश में हिन्दू नेतृत्व नहीं पनप सकता…
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