Monday, October 26, 2009

गऊ पूजन से पूर्ण होगी सारी मनोकामना

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    • कार्तिक शुक्ल पक्ष की अष्टमी सोमवार को गोपा अष्टमी के रूप में मनायी जाती है। ऐसी मान्यता है कि गौ-वंश को समर्पित इस पर्व पर गौ-पूजन से सारी मनोकामना की पूर्ति होती है।

      गोपा अष्टमी पर प्रात:काल गाय को स्नान कराकर जल, रोली, मौली, गुड़, चावल, फूल आदि से पूजन कर घास और दूध, घृत खिलाकर घर परिवार में सुख समृद्धि लाने की मंगल कामना की जाती है। गाय के बछडे़ और गोपालों की भी पूजा की जाती है। ज्योतिर्विद आशुतोष वाष्र्णेय के मुताबिक गऊ को ग्रास देकर उनकी परिक्रमा करके थोड़ी दूर साथ जाने से तथा सायंकाल चरकर आने वाली गायों को प्रणाम कर उनका पंच उपचार पूजन करने व उनके चरणों की धूल का तिलक लगाने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

    गोपाष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण ने नंगे पांव गऊ चराना आरंभ किया था।

    बलराम जी ने हल थमाया था कि वो लोगों को खेती करने का संदेश दें।