Wednesday, October 21, 2009

अपने भारतीय होने का प्रमाण दें गोरखा

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    • शिमला.
    • जमाने से भारत में रहते आए लाखों गोरखा परिवार क्या अब जनप्रतिनिधि चुनने का अपना अधिकार खो देंगे? चुनाव आयोग ने उनसे भारत का-जन—होने का प्रमाण मांगा है। शिमला के दो दर्जन गोरखा परिवारों को निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी ने नागरिकता प्रमाण या जन्म प्रमाण पत्र देने को कहा है, ऐसा नहीं किए जाने पर मतदाता सूची से उनके नाम हटाए जा सकते हैं।
    • यह नोटिस भारत में रह रहे नेपाली लोगों के मताधिकार पर आयोग की ओर से जारी दिशा निर्देशों के तहत दिए गए हैं। सालों से अपने नेपाली न होने की पैरवी करते गोरखा कह रहे हैं कि नागरिकता और जन्म प्रमाण पत्र की मांग करना देश के प्रति उनकी निष्ठा पर सवाल तो है ही, साथ ही बड़ी परेशानी भी है।
    • हिंदुस्तान में रह रहे गोरखा लोग पुराने वक्त में नेपाली शासकों की जनता हुआ करती थी लेकिन जिस हिस्से में वे रहते थे वह अब भारत का अभिन्न अंग है तो वे भारतीय ही हुए।
    • गुरू गोरखनाथ के अनुयायी कहलाए गोरखा



      गोरखाओं का उद्भव उत्तरी भारत से हुआ है। आठवीं शताब्दी के हिंदु योद्धा संत गुरू गोरखनाथ के नाम पर गोरखा नाम रखा गया। राजकुमार बप्पा रावल जब किशोर अवस्था में अपने साथियों के साथ राजस्थान के जंगलों में शिकार करने के लिए गए थे, तब उन्होंने जंगल में संत गुरू गोरखनाथ को ध्यान में बैठे हुए पाया।



      बप्पा रावल ने संत के नजदीक ही रहना शुरू कर दिया और उनकी सेवा करते रहे। गोरखनाथ जी जब ध्यान से जागे तो बप्पा की सेवा से खुश होकर उन्हे एक खुखरी दी और साथ ही कहा कि भविष्य में बप्पा रावल और उनका वंश पूरे विश्व में गोरखा के नाम से जाना जाएगा।