Friday, December 18, 2009

काकोरी के नायकों ने किया था प्राणों का बलिदान :: सहारा समय

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    • 19 दिसंबर को शहादत दिवस पर विशेष:
    • काकोरी घटना को अंजाम देने वाले सभी क्रांतिकारी काफी पढ़े लिखे थे । बिस्मिल के पास तो गजब का भाषा ज्ञान था। वह अंग्रेजी हिन्दुस्तानी बंगाली और उर्दू भाषा में दक्ष थे । बिस्मिल महान देशभक्त होने के साथ ही एक महान कवि भी थे। उनका अमर तराना ‘सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, आजादी के हर लड़ाके की जुबान पर होता था । ये पंक्तियां आज भी देशवासियों को देश पर मर मिटने की प्रेरणा देती है। इतिहासवेत्ता मालती मलिक के अनुसार फांसी की पूर्व संध्या पर जब बिस्मिल के माता पिता उनसे मिलने जेल गए तो बिस्मिल की आंखों से आंसू छलक पड़े। जब उनकी मां ने कहा कि आजादी के दीवाने रोया नहीं करते तो बिस्मिल ने जवाब दिया कि मां ये देश पर कुर्बान होने की खुशी के आंसू हैं न कि फांसी के डर से निकलने वाले आंसू ।

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