Thursday, January 28, 2010

Deshbandhu : राजनीति, श्रीलंका से राहत नेपाल बना आफत

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    • श्री राजपक्षे पुन: राष्ट्रपति चुन लिये गये। इससे तमिलों को लेकर भारत को परेशान होने की जरूरत नहीं है और श्री राजपक्षे बेघर हुए तमिलों को पुन: बसाने का प्रयास कर रहे हैं। इसी के साथ हमारे देश के एक अन्य पड़ोसी देश नेपाल ने हमारे लिए समस्या खड़ी कर  रखी है। वहां पर राजशाही के खात्मे के बाद माओवादियों के नेता और पूर्व प्रधानमंत्री पुण्य कमल दहल प्रचण्ड तो खुलेआम आरोप लगा रहे हैं। इससे हमारे देश की छवि खराब होती है।
    • श्रीलंका  की जनता ने श्री राजपक्षे के पक्ष में 58फीसदी वोट दिये जबकि फोंसेका को 40 फीसदी वोट ही मिल पाये। श्री फोेंसेका ने चुनाव में गड़बड़ी का आरोप भी लगाया है और अपनी सुरक्षा की गुहार भी एक पड़ोसी देश से की है। स्पष्ट तो नहीं कहा गया लेकिन वह देश कोई और नहीं बल्कि भारत ही है। भारत इस मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं करने वाला है। श्री लंका के तेवर ठीक  नहीं है। इसीलिए उनके सुरक्षा प्रहरियों में से10 को गिरफ्तार भी किया गया है। चुनाव को एक स्वस्थ्य प्रतिद्वंद्विता के रूप में लेना चाहिए लेकिन सैन्याधिकारी अपनी पराजय बर्दाश्त नहीं कर पाते। पाकिस्तान इसका उदाहरण हैं।

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