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- एक दूसरे देश की नागरिकता लेकर हुसैन ने हनीफुद्दीन और अब्दुल हमीद जैसे आदरणीय देशभक्तों का अपमान किया है। इतना ही नहीं, उन्होंने भारत का अपमान किया है। अब उन्हें यहां दफन करने से भी वंचित कर देना चाहिए।
कानून से बचने का तो प्रश्न ही नहीं था। पूरा कानून हुसैन के पक्ष में नजर आ रहा था, पूरी सरकार हुसैन के पक्ष में थी। केंद्रीय गृह मंत्री ने उन्हें आमंत्रित किया ही है। उन्हें सजा से बचाने के उपाय किए जा रहे थे। उनके खिलाफ दायर ज्यादातर मुकदमे खारिज करवा दिए गए। वैसे हुसैन ने ऎसा करके एक बहुत गलत रास्ता दिखाया है। क्या अब बाकी सारे अपराधियों को कानून से बचने के लिए कतर की नागरिकता स्वीकार कर लेना चाहिए - नहीं, उन्होंने कानून से बचने के लिए ऎसा नहीं किया। अब उन पर बहुत कम मुकदमे बचे हैं, ज्यादातर मुकदमे खारिज हो गए हैं। जो मुकदमे हैं, वे चलते रहेंगे। जो कुछ हुआ, वह चित्रकला के बारे में गलत समझ की वजह से हुआ। आज नागरिकता इतना बड़ा मुद्दा नहीं है, जैसा उसे समझा या बनाया जा रहा है। वेंकटरमन को नोबेल मिला, तब उन्हें भारत का बताकर उत्सव मनाए गए, जबकि वे अमेरिकी नागरिक हैं।
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- तरूण विजय
वरिष्ठ स्तंभकार
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