Wednesday, June 23, 2010

Jagran - आस्था पर दोहरा रवैया

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    • ऐसा प्रतीत होता है कि मौजूदा सरकार धड़ल्ले से पैसा बटोरने में लगी है। सरकार को हिंदू श्रद्धा स्थलों पर लिए जाने वाले टैक्स को तुरंत समाप्त करना चाहिए अन्यथा कल हर गली कोने के मंदिर में देवी-देवताओं के दर्शन करने से पहले गरीब श्रद्धालुओं को टैक्स देना होगा। सरकार को सभी संप्रदायों के लिए एक जैसी प्रणाली बनानी चाहिए ताकि किसी के दिल को ठेस न लगे। उदाहरण के तौर पर हम अमरनाथ यात्रा को ही लें। यह कोई सरल यात्रा नहीं। साथ ही साथ दर्शनार्थियों को अच्छा-खासा खर्चा भी झेलना पड़ता है। तमाम खर्चे के बाद भी अगर अपने देवी-देवताओं को देखने के लिए कर अदा करना पड़ता है तो इससे अधिक शर्मिदगी वाली कोई बात नहीं होगी।

      यदि हम कैलाश-मानसरोवर यात्रा की बात करें तो पता चलेगा कि यह तो उससे भी अधिक कठिन है। यहा पर चीन की सीमा होने के कारण और भी अधिक कठिनाइया श्रद्धालुओं को झेलनी पड़ती हैं। ऐसे ही वैष्णो देवी यात्रा का भी मामला है। एक ओर तो सरकार हिंदू श्रद्धालुओं पर विभिन्न प्रकार के टैक्स ठोंक रही है तो दूसरी ओर हज यात्रा पर जाने वाले मुस्लिम श्रद्धालुओं को सब्सिडी प्रदान कर रही है। इस सब्सिडी पर भी सरकार ने दस हजार रुपये का खर्च और बढ़ा दिया है। शायद कुछ इसी प्रकार की सब्सिडी ननकाना साहब, लाहौर जाने वाले सिखों को भी प्रदान की जाती है। यहा यह सवाल उठता है कि सरकार दोहरे मापदंड क्यों अपना रही है? धार्मिक यात्राओं के मामले में बहुत अच्छी बात है कि मुस्लिमों एवं सिखों को कुछ आर्थिक सहयोग सरकार प्रदान कर रही है, मगर क्या हिंदू श्रद्धालु उसकी निगाहों से गिर गए हैं?

    • [फिरोज बख्त अहमद: लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं]

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