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- आप गूगल इमेज में जा कर Hindu Sadhu लिख कर सर्च करिए आपको राख मले हुए, उट-पटांग आसन करते हुए, त्रिशूलधारी मैले -कुचैले कपड़े पहने हुए या और भी जंगली तरह के लोगो की तस्वीरें ढेरो मिल जाएँगी क्या ये ही है हमारा हिन्दू धर्मं यदि ये ही स्वरुप है तो उनसे लाख बेहतर कोई इंसान ईसाई या मुस्लिम होना अधिक पसंद करेगा। ये लोग मूर्खो के अलावा कोई और नहीं है और ये हिन्दू होने का गलत अर्थ दुनिया के सामने प्रस्तुत कर रहे हैं ।
- हिन्दू , आर्य या सनातन दर्शन इतना व्यापक और वैज्ञानिक है कि आप सोच भी नहीं सकते और हम राख मलने वालो , नंगे साधुओं, चालाक प्रवचनकर्ताओं (अधिकतर) को भगवान् मान कर पूजते हैं और वो ही उनका उद्देश्य होता है।
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