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- जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीमकोर्ट में अर्जी दाखिल कर अयोध्या में रामलला के विधिवत पूजन-दर्शन की अनुमति मांगी है।
सुब्रमण्यम ने कोर्ट से रामभक्तों को पूजा-अर्चना की कुछ और सुविधाएं दिये जाने और गैर जरूरी बाधाएं समाप्त किये जाने का अनुरोध किया। सुप्रीमकोर्ट ने भी स्वा� �ी को मामले में पक्षकार बनने की अनुमति देते हुए अन्य पक्षकारों से जवाब मांगा है।
स्वामी की इस अर्जी से चौदह साल बाद रामलला की पूजा अर्चना का मामला फिर उठ खड़ा हुआ है। - दो फिट चौड़ी बैरीकेडिंग में भक्तों को करीब चार किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। इस बीच कोई परेशान होकर वापस लौटना चाहे तो नहीं लौट सकता। इसके अलावा वहां भक्तों के लिए किसी तरह की सुविधा भी नहीं है। कोर्ट को इन परेशानियों पर विचार करना चाहिए। यह था हाईकोर्ट का आदेश हाईकोर्ट ने फरवरी 2006 में आदेश पारित कर हिन्दू भक्तों को दर्शन और पूजा में कुछ और छूट दिये जाने की अनुमति दी थी। हाईकोर्ट ने माना था कि भक्तों को दर्शन के अलावा अर्चना का भी अधिकार है।
हाईकोर्ट ने 15 फीट की दूरी के बजाय इसकी आधी दूरी से दर्शन कराये जाने और पुजारी को पूजन सामग्री रामलला के चरणों में चढ़ाने की अनुमति भी दी थी। पूजा व प्रसाद सामग्री के स्टाल लगाने व पार्किंग तथा सामान रखने के लिए क्लॉक रूम की व्यवस्था करने का भी आदेश था। यहां तक कि हाईकोर्ट ने पार्किंग के पास जनसुविधाएं भी मुहैया कराने को कहा था। लेकिन सुप्रीमकोर्ट ने 10 मई 1996 को हाईकोर्ट के इस आदेश पर रोक लगाते हुए यथास्थिति कायम रखने के आदेश दिये थे।
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