Monday, January 18, 2010

ऐतिहासिक घटनाओं से जुड़ा है बसंत पर्व

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    • बसन्त पंचमी का पर्व देश में घटित हो चुकी कई ऐतिहासिक घटनाओं से जुड़ा हुआ है। जिनमें धर्मवीर हकीकत राय का बलिदान, ४९ कूकों की शहादत, पतंगबाजी का जन्म शामिल हैं। लेकिन इस बार बसन्त पंचमी के दिन सेवा सिंह ठीकरीवाल की शहादत का दिन भी शामिल हो गया है।

      धर्म परिवर्तन का विरोध कर हिन्दू धर्म न छोड़ सिर कलम करने की सजा कबूल करने वाले धर्मवीर हकीकत राय जिनका अविभाजित भारत में लाहौर के शहर स्यालकोट में जन्म हुआ था। उनके पिता भागमल और माता तारा रानी थी। वीर हकीकत का सहपाठी मुस्लिम लड़कों से तकरार हुआ था।

      जिसके बाद मामला बढ़कर काजी के पास पहुंच गया था। काजी ने वीर हकीकत को धर्म बदलने को कहा था। नौ वर्षीय वीर हकीकत ने काजी की बात ठुकरा मौत की सजा को आज के दिन ही स्वीकार किया था। हिन्दू धर्म के लिए कुर्बान हो जाने वाले धर्मवीर हकीकत राय को इस दिन श्रद्धांजलि देने हिन्दू, सिख, धार्मिक व समाजसेवी संगठनों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं।

      जो धर्मवीर हकीकत राय को श्रद्धांजलि भेंट करते समय हर धर्म की रक्षा करने, देश की संस्कृति को बढ़ावा देने, देश विरोधी ताकतों को खदेडऩे की शपथ ग्रहण करते हैं, भारत को ब्रिटिश सरकार की गुलामी की जंजीरों से बाहर निकालने को लेकर कूका धर्म से जुड़े आजादी के संग्रामियों को तोपों के गोलों से शहीद किया गया था।

      शहीद सेवा सिंह ठीकरीवाला का दिन इस बार बसन्त के साथ इस लिए जुड़ गया है कि इसी दिन ठीकरीवाला शहीद हुए थे, जो पतंग आज विश्व के कोने कोने तक जा पहुंची है वह पहली पतंग बसन्त पंचमी के दिन पाकिस्तान के लाहौर में बनाई व उड़ाई गई थी। जो बाद में एक शौक बन गया।
    • बसन्त पंचमी का पर्व देश में घटित हो चुकी कई ऐतिहासिक घटनाओं से जुड़ा हुआ है। जिनमें धर्मवीर हकीकत राय का बलिदान, ४९ कूकों की शहादत, पतंगबाजी का जन्म शामिल हैं। लेकिन इस बार बसन्त पंचमी के दिन सेवा सिंह ठीकरीवाल की शहादत का दिन भी शामिल हो गया है।

      धर्म परिवर्तन का विरोध कर हिन्दू धर्म न छोड़ सिर कलम करने की सजा कबूल करने वाले धर्मवीर हकीकत राय जिनका अविभाजित भारत में लाहौर के शहर स्यालकोट में जन्म हुआ था। उनके पिता भागमल और माता तारा रानी थी। वीर हकीकत का सहपाठी मुस्लिम लड़कों से तकरार हुआ था।

      जिसके बाद मामला बढ़कर काजी के पास पहुंच गया था। काजी ने वीर हकीकत को धर्म बदलने को कहा था। नौ वर्षीय वीर हकीकत ने काजी की बात ठुकरा मौत की सजा को आज के दिन ही स्वीकार किया था। हिन्दू धर्म के लिए कुर्बान हो जाने वाले धर्मवीर हकीकत राय को इस दिन श्रद्धांजलि देने हिन्दू, सिख, धार्मिक व समाजसेवी संगठनों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं।

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