Saturday, February 27, 2010

होली पर सिनावल में नहीं बिखरते रंग

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    • गणेशदत्त सांवला
    • जी हां! दतिया अनुभाग के ग्राम सिनावल, जिसे स्थानीय लोग सोनागिर के नाम भी जानते हैं, में उल्लास व उमंग के पर्व होली पर रंग नहीं बिखेरे जाते। इसकी वजह न तो कोई मान्यता या किवदंती है और न ही प्राकृतिक आपदा का अंदेशा। ग्रामीण बताते हैं कि सांप्रदायिक सोहाद्र्र को ध्यान में रखते हुए पूर्वजों ने कभी होली न खेलने का निर्णय लिया होगा। जिस पर आज तक अमल जारी है।
    • इसी उपलक्ष्य में यहां वर्षों से चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से पांच दिवसीय मेले का आयोजन होता है। इस मेले में देश के कोने-कोने से जैन समाज के लोग पहुंचते हैं। ग्राम पंचायत सिनावल के सरपंच संतोष चौधरी के अनुसार बाहर से आने वाले जैन धर्मावलंबियों को होली के रंगों से परेशानी न हो और उनकी आध्यात्मिक यात्रा में किसी भी प्रकार का व्यवधान पैदा न हो, इसी सोच के साथ कभी ग्राम सिनावल के ग्रामीणों ने होलिका दहन के बाद क्षेत्र में होली न खेलने का निर्णय लिया होगा। इसी निर्णय के चलते ग्राम सिनावल के ग्रामीण होली नहीं खेलते और न ही अन्य किसी पर रंग डालने का प्रयास करते है। इस तरह लोगों ने आज भी वर्षों की परंपरा को कायम रखा है।

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