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- जिले में गौवंश की सेवा और उन्हें स्वस्थ रखने के लिए आधा दर्जन से ज्यादा गौशालाएं बनाई गई हैं, लेकिन देखा जा रहा है कि इनमें से अधिकतर गौशालाएं बदहाली का शिकार हैं। वजह है कि यहां रह रही गायों के खाने पाने के लिए दिया जाने वाला बजट इस साल क नहीं दिया जा सका है जिससे उन्हें खाने के लिए चारे और पीने के लिए पानी का संकट खड़ा हो गया है।
हिंदू समाज में गाय को देवतुल्य मानकर उसकी पूजा की जाती है, साथ ही जो गौवंश आवारा है उसक को चारा पानी और वक्त पर इलाज मिल सके इसके लिए प्रदेश सरकार ने गौसंवर्धन बोर्ड का गठन किया गया है । साथ ही इन गायों पर सरकार हर वर्ष लाखों रुपए खर्च करती है, लेकिन देखा जा रहा है कि जिले की गौशालाओं के हालत ठीक नहीं है ।
इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है उन्हें खर्च के लिए बजय न मिलना। यही वजह है कि गौवंश के खाने-पीने की समस्या बनी रहती है। हैरानी की बात तो यह है कि प्रदेश सरकार ने प्रति गौवंश के सदस्य को प्रति दिन 32 रुपए देने का प्रावधान है, लेकिन समय पर यह पैसा न मिलने से गौसेवकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
दस माह बाद भी नहीं मिला बजट : गौशाला समिति के एक सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि 2008-09 का बजट कई गौशालाओं को अभी तक नहीं मिल सका है, जबकि यह आज से दस माह पहले मिल जाना चाहिए था।
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