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मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की कथाओं को पढ़कर एक बालक इतना प्रभावित हुआ कि आगे चलकर उसने अपना जीवन ही प्रभु के नाम कर दिया। पढ़ाई-लिखाई पूरी करने के बाद दिल्ली में केंद्र सरकार की नौकरी मिल गई, लेकिन उसका मन राम में ही रमा रहा। ..और चल दिया उस रास्ते पर, जहँ-जहँ चरण पड़े रघुबर के। यह हैं हरियाणा के रेवाड़ी जिला के डड़ौली गांव निवासी डा. राम अवतार शर्मा। उन्होंने राम के इतिहास और वन गमन के अवशेष जुटा उन पर शोध कार्य किया। पद यात्राएं करते हुए वन गमन के 290 स्थलों की खोज की और अब शोध ग्रंथ, एलबम तथा वीडियो फिल्म के माध्यम से इनके प्रचार-प्रसार, संरक्षण एवं संवर्धन में जुटे हुए हैं।
डा.राम अवतार शर्मा एक वर्ष पहले ही दिल्ली के आयकर विभाग के सहायक निदेशक पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। पिछले 30 सालों से वह भगवान राम के विविध पक्षों पर शोध कार्य में लगे हैं।
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वन गमन स्थलों पर भगवान राम की चरण पादुकाएं स्थापित करने का कार्य शुरू हो गया है। उत्तर प्रदेश के चित्रकूट, भरतकूप, मुर्का, महाराष्ट्र, बिहार, नेपाल समेत अब तक 22 जगहों पर इनकी स्थापना हो चुकी है। इन स्थलों पर स्थानीय भाषा में वहां की महत्ता को वर्णित करते हुए शिलापट्ट भी लगाये जा रहे हैं।
लगेंगे राम स्तंभ- डा. शर्मा का कहना है कि इन सभी स्थलों पर राम स्तंभ लगाए जाएंगे, जो ग्रेनाइट के होंगे। इन पर इस प्रकार के केमिकल का लेप कराया जाएगा जिससे ये स्तंभ कम से कम एक हजार साल तक चल सकें। जयपुर में इंजीनियर इसकी डिजाइन तैयार कराकर उच्च स्तरीय पत्थरों का चुनाव कर रहे हैं।
विश्व स्तरीय राम संग्रहालय- दिल्ली, अयोध्या, चित्रकूट एवं रामेश्वरम् में विश्व स्तरीय राम संग्रहालय का निर्माण कराया जाना है। चित्रकूट में लक्ष्मण पहाड़ी के निकट इसका निर्माण कार्य शुरू हो चुका है।
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