Wednesday, February 3, 2010

Jagran - Yahoo! India - नृत्य-संगीत खोले ध्यान के द्वार



    • वैदिक काल में संगीत और नृत्य से कई रोगों का इलाज किया जाता था। नृत्य शारीरिक और संगीत मानसिक रोगों का उपचार करता था। आज ये चिकित्सा विधियां म्यूजिक थेरेपी और डांस थेरेपी के नाम से प्रचलित हैं।
      मोक्षायतन इंटरनेशनल योगाश्रम की डांस एवं योग थेरेपिस्ट आचार्य प्रतिष्ठा कहती हैं कि आज ज्यादातर रोग मन की वजह से होते हैं। तीनों विधाओं-योग, नृत्य और संगीत का विषय तन न होकर मन है। मन पर प्रभाव का असर बाद में हमारे तन पर भी दिखने लगता है।
      विज्ञान कहता है कि दिन भर में मनुष्य के दिमाग में लगभग 70 हजार विचार आ सकते हैं। इसलिए हमें अपने विचार यानी मन पर नियंत्रण रखना चाहिए। इसका एकमात्र माध्यम है-अष्टांग योग का सातवां अंग-ध्यान। प्राचीन ऋषि-मुनियों ने ध्यान की कई विधियां बताई हैं, जैसे-ऊर्जा पाने के लिए सूर्य ध्यान, मानसिक शांति के लिए चंद्र ध्यान, विचारों पर नियंत्रण के लिए संख्या ध्यान, आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए स्थूल ध्यान, शरीर में स्थित चक्रों को जगाने के लिए कुंडलिनी ध्यान। यदि ध्यान की इन सभी विधियों के साथ भारतीय नृत्य और संगीत को भी शामिल कर लिया जाए, तो इसका परिणाम दोगुना हो सकता है।


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