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Pratahkal - 1857 क्यों और 1846 और 1810 क्यों नहीं?
- आलोक तोमर
- भारत सरकार स्वाधीनता संग्राम सेनानियों और उनके वंशजों की एक सूची बना रही है। यह एक शुभ काम हैं लेकिन इस शुभ काम में गफलत बहुत होती नजर आ रही है। भारतीय शहीद पंजीकरण विभाग ने 1857 की बगावत को पहला स्वाधीनता संग्राम मानते हुए तय किया है कि इसके पहले अंग्रेजों से मोर्चा लेने वालों को शहीद या स्वाधीनता संग्राम सेनानी नहीं माना जाएगा।
अब यह सवाल अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण हैं कि 1857 की जो बगावत हुई थी वह क्या वास्तव में स्वाधीनता का संग्राम ही था? - हालांकि हमारे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को संस्कृति आदि में कोई खास रूचि है नहीं मगर संस्कृति मंत्रालय अपने पास ही रखा है और उसी के तहत शहीदों की गिनती का यह अभियान चलाया जा रहा है। सांसद तरलोचन सिंह एक जमाने में ज्ञानी जैल सिंह के सहयोगी हुआ करते थे और एक बार जब तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने संसद सत्र शुरू होने पर उद्धाटन भाषण में कहा था कि जब 1857 के शहीदों का आदर किया जाना चाहिए तो तरलोचन सिंह ने ही उठ कर कहा था कि उसके पहले जो शहीद हुए हैं उन्हें आप क्यों भूल जाना चाहते हैं?
- इतिहासकार यह भी कुतर्क दे रहे हैं कि अगर 1846 से आजादी की लड़ाई शुरू हुई मानी जाए तो सन 1800 की शुरूआत में प्लासी और बैल्लौर के युद्ध कैसे भुलाए जा सकते हैं?
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