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- आखिर पढ़ी-लिखी हिन्दू लड़कियाँ, किस प्रकार से कारपेंटर, ऑटो रिक्शा चालक, सब्जी बेचने वाले ( यहाँ तक कि बेरोज़गार) मुसलमान युवकों के जाल में फ़ँस जाती हैं? क्या तथाकथित प्रेम(?) करने के दौरान उनकी अक्ल घास चरने चली जाती है?
- महिला आरक्षण का विरोध करने वालों में मुस्लिम सांसद सबसे आगे और मुखर थे, तो क्या उन सांसदों को किसी ने “पिंक चड्डी” भेजने का मन बनाया है? (कल्बे जव्वाद ने तो अपरोक्ष रूप से औरतों को बच्चे पैदा करने की मशीन तक बता डाला)
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