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visfot.com । विस्फोट.कॉम - हारे हुए योद्धा के हाथ में कमान
- एस ए अस्थाना
- तमाम तरह के अफवाहों-झंझटों से जूझते हुए अंततः भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गड़करी ने उत्तर प्रदेश में सूर्य प्रताप शाही के हाथ में भाजपा की कमान सौंप दी है. लगभग मरणासन्न की स्थिति में पहुंच चुकी पार्टी को पुर्नजीवित करने की अभिलाषा को संजोए संगठन के प्रांतीय सेनापति की कमान जिस सूर्य प्रताप शाही के हाथों में सौंपी गयी है उनकी पहचान एक हारे हुए योद्धा की है.
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1991 के ‘रामलहर’ चुनाव में चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंचे भाजपा के इस महारथी को प्रदेश सरकार में पहली बार ‘गृह राज्यमंत्री’ कुछ दिनों बाद ‘स्वास्थ्य मंत्री’ पद पर आसीन होंने का सौभाग्य प्राप्त हो सका तो 1996 में ‘आबकारी मंत्री’ के रूप में शपथ लेकर मंत्री पद पर आसीन हुए। सूर्य प्रताप शाही के मंत्री पद का दोनों कार्यकाल विवादों से बुरी तरह घिरा रहा है। बतौर गृह राज्यमंत्री उनका कार्यकाल तो इतिहास के काले पन्नों में दर्ज है। यहाँ यह ज्ञात रहे कि सूर्य प्रताप शाही के गृह मंत्री के कार्यकाल में ही बहुचर्चित ‘पथरदेवाँ बलात्कार काण्ड’ की गूंज लोकसभा से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक बहुत दिनों तक होती रही। पथरदेवाँ काण्ड के विषय में यह भी स्पष्ट हो गया था कि अपने राजनैतिक प्रतिद्वंदी ब्रह्मांशंकर त्रिपाठी को परोक्ष रूप से सबक सिखाने के लिए ही सूर्य प्रताप शाही ने बतौर गृह राज्यमंत्री ‘पथरदेवाँ बलात्कार काण्ड’ को अंजाम दिलवाया था। जिसका कलंक आज भी सूर्य प्रताप शाही के माथे से नहीं छूट पाया है।
प्रदेश भाजपा के इस नये कप्तान सूर्य प्रताप शाही के दागदार राजनैतिक इतिहास का इससे बड़ा साक्ष्य और क्या होगा कि - इनके चाचा रविन्द्र किशोर शाही प्रदेश के संविद सरकार में विद्युत मंत्री के रूप में कम जाने जाते थे पर अपने तत्कालीन थाना क्षेत्र- तरकुलवाँ (देवरिया) के ‘बैल चोर सरगना’ के रूप में कुछ ज्यादा ही चर्चित हुए। जिन दिनों सूर्य प्रताप शाही के चाचा रविन्द्र किशोर शाही राज्य के विद्युत मंत्री के रूप में कार्यभार संभाल रहे थे उसी समय तरकुलवाँ थाना के तत्कालीन प्रभारी थानाध्यक्ष- करम हुसैन ने थाने की जी.डी. में लिखा है कि थाना क्षेत्र में बैल चोरी की घटना में इन दिनों की काफी गिरावट इसलिए आई है कि थाना क्षेत्र में बैल चोर गिरोह का सरगना इन दिनों थाना क्षेत्र में रहने के बजाए लखनऊ में रह रहा है। प्रदेश भाजपा के नये सूबेदार सूर्य प्रताप शाही के माथे पर लगे उपरोक्त कलंक (चाहे वह नौ में से छः चुनाव हारने का हो, पथरदेवाँ बलात्कार काण्ड का हो या फिर बैल चोर सरगना से खून के रिश्ते का हो) पर प्रदेश भाजपा मुख्यालय पर लोग चटखारे लेकर चर्चा उसी दिन से शुरू कर दिए हैं जिस दिन से प्रदेश भाजपा के नये सेनापति के रूप में सूर्य प्रताप शाही के नाम की घोषणा हुई है। अब ऐसे में यह यक्ष प्रश्न स्वतः विचारणीय हो जाता है कि सूर्य प्रताप शाही अपने ऊपर लगे कलंक को धोएंगे या फिर मृत पड़ी प्रदेश भाजपा में जान फूंकने का प्रयास करेंगे।
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