Friday, May 14, 2010

visfot.com । विस्फोट.कॉम - बिहार में हिन्दुत्व का बेड़ा गर्क किया भाजपा ने

  • tags: no_tag

    image
    • नीतिश ने अपने शासनकाल में मुस्लिम वोट बैंक को मजबूत किया है.
    • अब भाजपा के कार्यकर्ता शिकायत कर रहे हैं कि चुनाव में किस मुंह से मैदान में उतरेंगे. हिन्दुत्व समर्थकों का दावा है कि राज्य में

      १.बिना किसी शर्त पर शतप्रतिशत तलाकशुदा मुस्लिम महिला को पेंशन की घोषणा की गयी.हिन्दुओं के लिए नहीं.
      २.राजद के समय कब्रगाह के चारदीवारी के लिए एक करोड़ की राशि का आवंटन किया गया लेकिन राजग सरकार ने इसे बढ़ाकर ६ करोड़ किया. बाद में असीमित राशि की घोषणा भी कर दी गयी.
      ३.बिहार की आबादी ८ करोड़ है जिसमे हिन्दू आबादी ७ करोड़ है लेकिन संस्कृत विद्यालय ५४० हैं. वही वर्तमान सरकार के शासनकाल में राज्य में ९० लाख मुसलमानों के लिए १२४५ मदरसों को स्वीकृति दी गयी है.
      ४.बी पी एस सी में उर्दू में उत्तर लिखने की छूट लेकिन अष्टम सूची में शामिल होने के बाद भी मैथिलि को जगह नहीं.
      ५.सभी मदरसों में मौलवी को स्थायी वेतन का एलान और स्थायी भवन बनाने की मंजूरी.
      ६.कृष्णैया हत्या कांड का स्पीडी ट्रियल कराकर आनंद मोहन समेत कई को सजा लेकिन भागलपुर के डीएसपी मेहरा को  मुस्लिम बुनकरों ने जीप में बांधकर मार डाला था ....उनका कोई ट्रायल नहीं.
      ७. राज्य में उर्दू पढ़ाने के लिए हरेक प्राइमरी विद्यालय में मौलवी की नियुक्ति की जा रही है.
      ८. बिहार के सभी थानों में उर्दू दरोगा तथा अनुवादक की नियुक्ति की जा रही है.
      ९. किशनगंज में तोहिद एजुकेशनल ट्रष्ट को विश्वस्तरीय विश्वविद्यालय बनाने की घोषणा.
      १०. किशनगंज के दिघल बैंक में मोरावाडी गांव में बड़ी मस्जिद के लिए जिलाधिकारी चंदा कर रहे है.
      ११. दसवी पास करने पर सभी मुस्लिम बालकों-बालिकाओं के लिए १० हजार की राशि दी जा रही है. हिन्दुओ को कुछ नहीं.

    • अब भाजपा और संघ के कार्यकर्ता अपना सिर पीट रहे हैं कि पिछले साढे चार साल में अगर नीतिश कुमार ने मुसलमान वोट बैंक मजबूत करने के लिए सारे काम किये तो भाजपा हाथ पर हाथ धरे क्यों बैठी रही. इन कार्यकर्ताओं को समझना चाहिए कि यही भाजपा का चरित्र है. जब सत्ता में होती है तो सबसे पहले कार्यकर्ताओं को भूलती है और अगली बार जब चुनाव होता है तो कार्यकर्ता भाजपा को भूल जाते हैं. इसीलिए किसी राज्य में दोबारा सत्ता में आना भाजपा के लिए हमेशा टेढ़ी खीर साबित होता है. क्या बिहार में भी ऐसा ही होगा?

Posted from Diigo. The rest of my favorite links are here.