मिट्टी का चंदन: मजाक या सच
from सारथी by Shastri JC Philip
उत्तर भारत के गंगा तटीय स्थानों पर बिकने वाला यह चन्दन वास्तव में मिटटी ही होता है जिसे स्थानीय लोग गंगा के छिछले तटों पर काफी समय तक जमा रही मिटटी को साफ़ करके बनाते हैं. इसका रंग बसन्ती पीला होता है तथा इसमें स्वयं की एक भीनी खुशबु रहती है. मिटटी को साफ़ करके इसमें केवडा, गुलाब आदि इत्र की खुशबू मिलाकर पिंडियों के रूप में रोल करके सुखा दिया जाता है और पैकेट बनाकर पर्यटक स्थलों में खूब बेचा जाता है.
उत्तर भारत के गंगा तटीय स्थानों पर बिकने वाला यह चन्दन वास्तव में मिटटी ही होता है जिसे स्थानीय लोग गंगा के छिछले तटों पर काफी समय तक जमा रही मिटटी को साफ़ करके बनाते हैं. इसका रंग बसन्ती पीला होता है तथा इसमें स्वयं की एक भीनी खुशबु रहती है. मिटटी को साफ़ करके इसमें केवडा, गुलाब आदि इत्र की खुशबू मिलाकर पिंडियों के रूप में रोल करके सुखा दिया जाता है और पैकेट बनाकर पर्यटक स्थलों में खूब बेचा जाता है.