अन्तरिक्ष में जीवन की संभावनाऎं
from ज्योतिष की सार्थकता by Pt.डी.के.शर्मा"वत्स"
पृ्थ्वी की गुरूत्वाकर्षण शक्ति के विषय में भारतवासी न्यूटन और गैलीलियो से हजारों वर्ष पहले ही परिचित हो चुके थे। भास्कराचार्य रचित "सिद्धान्तशिरोमणि" के गोलाध्याय में एक जगह इस बात का उल्लेख किया गया है।
"गरूड पुराण में वर्णित है कि मृ्त्यु के पश्चात आत्मा को यमलोक की यात्रा करनी पडती है, जहां यमराज के सम्मुख उसे अपने इस जीवन में किए गए अच्छे-बुरे कर्मों का हिसाब देना पडता है। किन्तु यमलोक पहुंचने से पूर्व मार्ग में उसे "वैतरणी" नाम की एक नदी को पार करना पडता है।
अब यहां जिस वैतरणी नदी का वर्णन किया गया है, वास्तव में यह ब्राह्मंड का सबसे लम्बा एक तारामंडल है,जो कि देखने में एक टेढी मेढी नदी के समान प्रतीत होता है। इसी को यूनानी सभ्यता में "एरिदानुस" भी कहा गया है। जिसका अर्थ भी नदी ही होता है।
ग्रंथ में वर्णित है कि वैतरणी नदी से आगे यमलोक की दूरी छियासी हजार योजन दूर है जिसके यात्रा मार्ग में सौंम्यपुर, सौरिपुर, नगेन्द्र भवन, गंधर्व, शैलागम, क्रौंच, क्रूरपुर, विचित्र भवन, दुःखद, नाना क्रंदपुर, सुतप्त-भवन, रौद्र नगर, पयोवर्षण, शीतादय, बहुभीति नामक 16 नगर पडते हैं। इनके बाद फिर यमलोक आता है।"
पृ्थ्वी की गुरूत्वाकर्षण शक्ति के विषय में भारतवासी न्यूटन और गैलीलियो से हजारों वर्ष पहले ही परिचित हो चुके थे। भास्कराचार्य रचित "सिद्धान्तशिरोमणि" के गोलाध्याय में एक जगह इस बात का उल्लेख किया गया है।
"गरूड पुराण में वर्णित है कि मृ्त्यु के पश्चात आत्मा को यमलोक की यात्रा करनी पडती है, जहां यमराज के सम्मुख उसे अपने इस जीवन में किए गए अच्छे-बुरे कर्मों का हिसाब देना पडता है। किन्तु यमलोक पहुंचने से पूर्व मार्ग में उसे "वैतरणी" नाम की एक नदी को पार करना पडता है।
अब यहां जिस वैतरणी नदी का वर्णन किया गया है, वास्तव में यह ब्राह्मंड का सबसे लम्बा एक तारामंडल है,जो कि देखने में एक टेढी मेढी नदी के समान प्रतीत होता है। इसी को यूनानी सभ्यता में "एरिदानुस" भी कहा गया है। जिसका अर्थ भी नदी ही होता है।
ग्रंथ में वर्णित है कि वैतरणी नदी से आगे यमलोक की दूरी छियासी हजार योजन दूर है जिसके यात्रा मार्ग में सौंम्यपुर, सौरिपुर, नगेन्द्र भवन, गंधर्व, शैलागम, क्रौंच, क्रूरपुर, विचित्र भवन, दुःखद, नाना क्रंदपुर, सुतप्त-भवन, रौद्र नगर, पयोवर्षण, शीतादय, बहुभीति नामक 16 नगर पडते हैं। इनके बाद फिर यमलोक आता है।"