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- महाराष्ट्र का पूरा सुरक्षा तंत्र एक फिल्म [माई नेम इज खान] को रिलीज कराने की कवायद में जुटा रहा और आतंकी इसका फायदा उठा ले गए। शनिवार को आतंक का दर्द झेलने वाली पुणे की जनता अब यही सवाल उठा रही है। वह साफ कह रही है कि पूरी सरकार एक फिल्म और शाहरुख खान के चक्कर में आम जनता की सुरक्षा को भूल गई।
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26 नवंबर, 2008 को जब मुंबई पर अब तक का सबसे बड़ा आतंकी हमला हुआ, तो मुंबई पुलिस का आतंकवाद निरोधक दस्ता मालेगाव काड में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर एवं पुणे के मूल निवासी कर्नल पुरोहित की छानबीन में लगी थी। दूसरी ओर उसे हिंदूवादी राजनीतिक संगठनों के तगड़े विरोध का भी सामना करना पड़ रहा था।
11 जुलाई, 2006 को मुंबई की ट्रेनों में हुए सिलसिलेवार विस्फोटों से पहले महाराष्ट्र की पुलिस भिवंडी में एक मस्जिद की जगह के लिए हुए विवाद को सुलझाने में लगी थी। तब इस आंतरिक आंदोलन में पुलिस की गोली से एक व्यक्ति के मारे जाने के कारण एक राजनीतिक दल द्वारा आंदोलन खड़ा कर दिया गया था।
12 मार्च, 1993 को मुंबई में हुए सिलसिलेवार धमाके तो अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाए जाने के बाद मुंबई में हुए दंगों के परिणामस्वरूप हुआ था। उस समय मुंबई पुलिस मोहल्ला कमेटियां बना कर हिंदू-मुस्लिम के बीच सौहार्द कायम करने में मशगूल रहा करती थी।
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