Tuesday, December 22, 2009

visfot.com । विस्फोट.कॉम - गढ़ तो चढ़ गये गड़करी लेकिन...

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    • प्रेम शुक्ल
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    • गडकरी निश्चित तौर पर महाराष्ट्र के लोक निर्माण विभाग में क्रांतिकारी परिवर्तन करने में कामयाब हुए थे। उन्होंने विदर्भ में भाजपा के विस्तार की कमान भी संभाले रखी। लेकिन पिछले पांच वर्षों के कार्यकाल में वे महाराष्ट्र में भाजपा को पुनर्संगठित करने में कामयाब नहीं हुए। महाराष्ट्र में भाजपा को सफलता दिलाने में उन्हें किसी प्रकार की बाधा नहीं थी। क्या राष्ट्रीय स्तर पर वही गडकरी भाजपा को नए सिरे से सुसंगठित करने में कामयाब हो पाएंगे?
    • क्या भाजपा में अध्यक्ष सर्वशक्तिमान व्यक्ति होता है? अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के अलावा पिछले 29 वर्षों में भाजपा का कोई भी अध्यक्ष सर्वोच्च नेता की हैसियत को नहीं पा सका है? वाजपेयी और आडवाणी के बाद पहली बार अध्यक्ष की कुर्सी पानेवाले मुरली मनोहर जोशी वरिष्ठता, अनुभव, वक्तृत्व, विद्वता आदि मापदंडों पर सुषमा स्वराज या अरूण जेटली की तुलना में बहुत आगे हैं। फिर मुरली मनोहर जोशी को वाजपेयी और आडवाणी के बाद पार्टी में कभी तीसरे क्रमांक का भी व्यक्ति क्यों नहीं बनाया गया?
    • राजनाथ सिंह की विदाई इस अंदाज में की गई है मानो वे भाजपा के सबसे विफलतम अध्यक्ष रहे हों। जबकि सच्चाई यह है कि राजनाथ सिंह के नेतृत्व में उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, पंजाब, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और कर्नाटक में पार्टी को सफलता हासिल हुई। यदि केंद्र में सरकार न बनाने की विफलता राजनाथ सिंह के खाते में दर्ज होती है तो राज्यों की सफलता भी उनके खातों में क्यों नहीं दर्ज की जाती?
    • पार्टी विरोधी कार्रवाइयों को जब अध्यक्ष के खिलाफ शीर्ष नेतृत्व हवा दे रहा हो तो क्यों कोई अध्यक्ष पार्टी को सफलता दिला सकता है? फिर राजनाथ सिंह से सफलता की उम्मीद किस खातिर?
    • भाजपा का उदय सांगठिनक क्षमता की बजाय राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस के अल्पसंख्यकवाद की प्रतिक्रिया के चलते हुआ। अटल बिहारी वाजपेयी भाजपा के सबसे अधिक प्रभावोत्पादक नेता रहे। वे 1980 से 1986 तक भाजपा के अध्यक्ष थे। इस काल में भाजपा राष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव डालनेवाली शक्ति नहीं बन पाई थी। लालाकृष्ण आडवाणी का पहला कार्यकाल भी भाजपा को विपक्ष की सशक्ततम पार्टी नहीं बना पाया था। भाजपा जिस आंदोलन के चलते सत्ता के समीकरण में अपरिहार्य बनी, वह उसका अपना आंदोलन होने की बजाय विश्व हिंदू परिषद का आंदोलन था। भाजपा का राष्ट्रीय विकास 1989 से 1996 के बीच हुआ। इन सात वर्षों में तीन वर्ष मुरली मनोहर जोशी अध्यक्ष रहे। उन्होंने भी आडवाणी की तरह राष्ट्रीय स्तर पर रथयात्रा की। वे कश्मीर के लाल चैक तक भाजपा का रथ लेकर गए। बावजूद इसके जब कोई भाजपाई आडवाणी और जोशी की तुलना करता है तो वह जोशी को कभी आडवाणी की बराबरी का सम्मान नहीं देता, क्यों? भाजपा सत्ता में आते ही राम जन्मभूमि, धारा 370, समान नागरिक संहिता जैसे अपने मूलभूत मुद्वों को किनारे कर बैठी।

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