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एक ही परिसर में हैं मजार और मन्दिर
- शहर के वार्ड दो व तीन के मध्य स्थित भगवद्धाम मंदिर सांप्रदायिक एकता का प्रतीक है। आजादी से पहले यहां मुस्लिम उर्स होते थे। आज यहां हिंदु उत्सव होते हैं। शहर का यह एकमात्र ऐसा धर्म स्थल है। जहां आज भी मजार पर वैसे ही पूजा होती है। जैसे देवी-देवताओं की प्रतिमाओं की। आजादी के बाद पाकिस्तान से आए हिंदुओं ने १९४८ में यहा सत्संग आरंभ किया था।
- श्री कृष्ण गोविंद जनसेवा ट्रस्ट के माध्यम् से इस धर्मस्थल का संचालन होता है। मंदिर के साथ-साथ मजार के रख-रखाव का पूरा ख्याल रखा जाता है। संचालन समिति के सहसचिव हंस राज गेरा ने बताया कि मजार व मंदिर साथ-साथ होने से श्रद्धालु खुश हैं। २४ फरवरी १९८१ से परिसर में स्कूल भी संचालित किया जा रहा है।
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