Thursday, February 11, 2010

संतों के अखाड़े:परंपरा और विवाद - Oneindia Hindi

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    संतों के अखाड़े:परंपरा और विवाद
    • शालिनी जोशी
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      अखाड़े एक तरह से हिंदू धर्म के मठ कहे जा सकते हैं. आदि शंकराचार्य ने सदियों पहले बौद्ध धर्म के बढ़ते प्रसार को रोकने के लिए अखाड़ों की स्थापना की थी.

      महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव महंत रवींद्रपुरी दास कहते हैं, ''जो शास्त्र से नहीं माने उन्हें शस्त्र से मनाया गया और अखाड़ों ने हिंदू धर्म का पुनरुत्थान किया.''

      उनके अनुसार शुरु में केवल चार प्रमुख अखाड़े थे, लेकिन वैचारिक मतभेद की वजह से उनका बंटवारा [^] होता गया और आज 13 प्रमुख अखाड़े हैं.

      महंत ज्ञानदास कहते हैं,''दरअसल कुंभ अखाड़ों का ही है. कुंभ ऐसा अवसर है जहाँ आध्यात्मिक और धार्मिक विचार-विमर्श होता है. अखाड़े अपनी-अपनी परंपराओं में शिष्यों को दीक्षित करते हैं और उन्हें उपाधि देते हैं.''

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      अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत ज्ञानदास कहते हैं, ''आसाराम हों या मोरारी बापू या स्वामी रामदेव. सभी का अपना-अपना व्यावसाय है. हम इन्हें संत नहीं मानते हैं.''

      हालांकि कुंभ में स्नान को लेकर इन अखाड़ों में ख़ुद भी हमेशा से झगड़े होते आए हैं.

      इन जगड़ों का कारण पूछने पर पंडित प्रतीक मिश्र बताते हैं, ''मान्यता है कि ब्रह्मकुंड में पहले जो स्नान करेगा उसे ज़्यादा पुण्य मिलेगा, इसलिए साधुओं में पहला स्नान करने और स्नान के क्रम को लेकर खूनी संघर्ष तक हुए हैं. इन संघर्षों में अबतक हज़ारों साधुओं की मौत हो चुकी है.''


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